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पोस्ट दिवाली इफेक्ट : बुधवार को रहा 2022 के बाद का सबसे अधिक AQI

157 (Unhealthy) पर पहुंचा महानगर का AQI

मधु, सन्मार्ग संवाददाता

कोलकाता : दिवाली में जलाये गये कान फोड़ू पटाखे अपना रंग दिखा रहे हैं। कोलकाता में प्रदूषण की स्थिति खराब हो गयी है, लेकिन पटाखे फोड़ने वालों का शौक अब भी नहीं मिटा है। गत मंगलवार को भी देर रात तक बदस्तूर पटाखे फोड़े गये जिसका असर बुधवार को देखने को मिला। बुधवार यानी 22 अक्टूबर 2025 का दिन प्रदूषण के लिहाज से वर्ष 2022 के 22 अक्टूबर के बाद सबसे खराब रहा। मंगलवार की रात कोलकाता का एक्यूआई 200 के पार चला गया था जो बुधवार की शाम को 157 रिकॉर्ड किया गया। बताया गया कि पूरे पश्चिम बंगाल की तुलना में कोलकाता का एक्यूआई 1.1 गुना अधिक है।

22 अक्टूबर काे कोलकाता का एक्यूआई

वर्ष : एक्यूआई स्तर

2021 : 138

2022 : 160

2023 : 119

2024 : 131

2025 : 157

एक नजर सबसे प्रदूषित शहरों पर

एक रिपोर्ट के अनुसार, कोलकाता सबसे प्रदूषित शहरों की सूची में 8वें स्थान पर आ गया है। सूची में दिल्ली पहले नंबर पर है जबकि इसके बाद पाकिस्तान और कुवैत के शहर हैं। भारत के शहरों में कोलकाता से ऊपर मुंबई 5वें स्थान पर है। ये आंकड़े दिवाली के एक दिन बाद के हैं।

जादवपुर में सबसे अधिक प्रदूषण

महानगर के शहरों में जादवपुर में सबसे अधिक प्रदूषण रहा जहां एक्यूआई स्तर 214 पर पहुंच गया। इसके अलावा बालीगंज, विधाननगर, चेतला, ढाकुरिया, ईई ब्लॉक, फोर्ट विलियम, यू. एस. कांसुलेट, मानिकतला, आरबीयू समेत विभिन्न स्थानों पर एक्यूआई का स्तर अधिक रिकॉर्ड किया गया।

किसी एक की लापरवाही नहीं : पर्यावरणविद

पर्यावरणविद डॉ. सुभाष दत्ता ने बताया कि कोलकाता व हावड़ा की हवा खराब होने के पीछे केवल प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड अथवा पुलिस की लापरवाही नहीं है, बल्कि लोग खुद अपने स्वास्थ्य को लेकर लापरवाह हो गये। जहां तक ग्रीन क्रैकर्स की बात है तो ये सब केवल कागजी बातें हैं क्योंकि उनकी मॉनिटरिंग करने वाला कोई नहीं है।

टेस्टिंग को लेकर संशय

बड़ाबाजार फायर वर्क्स डीलर्स एसोसिएशन के ज्वाइंट सेक्रेटरी ध्रुव नरुला ने बताया कि कोलकाता में मुख्य तौर पर बेहतर गुणवत्ता वाले पटाखे ही बिकते हैं। हालांकि पटाखों की सैंपल टेस्टिंग लैबोरेटरी में बढ़ाये जाने की आवश्यकता है ताकि उनमें किन मेटल का इस्तेमाल हुआ है, इसका पता चल सके। इसके अलावा जिस तरह अवैध विक्रेता पाड़ा-पाड़ा में स्टॉल लगाकर पटाखों की बिक्री करते हैं, उस पर भी निगरानी बढ़ायी जानी चाहिये। बजबज और चंपाहाटी जो सबसे बड़े मैन्यूफैक्चरिंग यूनिट्स हैं, उन पर साल भर निगरानी की आवश्यकता है।

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