सन्मार्ग संवाददाता
कोलकाता : केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) ने अपने सभी स्कूलों को सर्कुलर जारी कर स्थानीय व क्षेत्रीय भाषा में पढ़ाई कराने का विकल्प दिया है। अभी तक सीबीएसई से पढ़ाई करने वाले स्टूडेंट्स अपनी मातृ भाषा को विकल्प के तौर पर ही चुन सकते थे, लेकिन अब पूरी पढ़ाई ही मातृ भाषा या स्थानीय भाषा में कराई जाएगी। भाषा विषय को छोड़कर अन्य विषयों की पढ़ाई छात्र स्थानीय भाषा में कर सकेंगे। बता दें कि सीबीएसई ने यह घोषणा नई शिक्षा नीति 2020 के तहत की है। नई शिक्षा नीति में बहुभाषी शिक्षा का जिक्र किया गया है। सीबीएसई की ओर से जल्द ही विभिन्न भाषाओं में किताबें भी उपलब्ध कराई जायेंगी। सीबीएसई की ओर से जारी सर्कुलर में कहा गया है कि कम से कम 5वीं तक या अधिकतम 8वीं तक की पढ़ाई स्थानीय भाषा में कराई जाए।
स्थानीय भाषा को मिलेगा बढ़ावा
स्थानीय भाषा में पढ़ाई शुरू होने से स्थानीय भाषा को बढ़ावा मिलेगा। बच्चे अपनी क्षेत्रीय भाषा सीखेंगे साथ ही पढ़ाई के प्रति उनमें रूझान बढ़ेगा। इससे स्थानीय संस्कृति को भी बढ़ावा मिलेगा। छात्र अपने क्षेत्रीय सांस्कृतिक परंपरा से भी परिचित होंगे। इससे रोजगार के अवसर भी उपलब्ध होंगे।
शिक्षकों की होंगी भर्तियां
स्थानीय भाषा में पढ़ाई होने से इन भाषाओं में शिक्षकों की भर्तियां भी होंगी, जो आने वाले समय में शिक्षक भर्ती का एक बड़ा अवसर बन सकता है। जब पढ़ाई क्षेत्रीय भाषा में होगी तो छात्र आसानी से समझ सकेंगे और शिक्षकों को भी उन्हें समझाने में आसानी होगी। साक्षरता दर भी बढ़ेगी और छात्रों के सीखने की क्षमता भी।
यह कहा शिक्षकों ने
साउथ प्वाइंट हाई स्कूल के ट्रस्टी कृष्ण दम्मानी ने कहा, 'हम इस पर अध्ययन कर यह सोचेंगे कि इसे किस तरह लागू करना है।' शिक्षायतन फाउण्डेशन की सीईओ व सेक्रेटरी जनरल ब्रतती भट्टाचार्य ने कहा कि जाे स्कूल स्थानीय भाषा में पढ़ाई करवाना चाहते हैं, उन स्कूलों पर ही यह लागू होता है। नोटिस में कहीं भी यह नहीं है कि आवश्यक तौर पर सभी स्कूलों में स्थानीय भाषा में ही पढ़ाई करानी होगी। ऐसे में यह स्कूलों पर है कि उन्हें किस तरह और किस भाषा को अहमियत देते हुए पढ़ाई करानी है।