कोलकाता : ‘ॐ जयन्ती, मङ्गला, काली, भद्रकाली, कपालिनी। दुर्गा, शिवा, क्षमा, धात्री, स्वाहा, स्वधा नमोऽस्तु ते॥’ पश्चिम बंगाल के सबसे बड़े त्योहार दुर्गा पूजा में अब इन मंत्रों में पुरुषों के साथ ही महिलाओं की आवाजें सुनायी देने लगी हैं। पिछले लगभग 5 वर्षों में दुर्गा पूजा में जो एक बड़ा बदलाव देखने को मिला है, वह है महिला पुरोहितों की बढ़ती भागीदारी। परंपरा और आधुनिकता के संगम का प्रतीक बनी कोलकाता की दुर्गा पूजा में इस बार महिला पुरोहितों की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि देखने को मिल रही है। लंबे समय तक यह भूमिका पुरुषों तक सीमित रही, लेकिन अब महिलाएं भी पूजा-पाठ और अनुष्ठानों में सक्रिय रूप से भागीदारी कर रही हैं। पंडालों से लेकर सामूहिक पूजा समितियों तक, कई जगह महिलाओं ने मंत्रोच्चार, चंडीपाठ और आह्वान की जिम्मेदारी अपने कंधों पर ली है।
इन्होंने की थी शुरुआत
वर्ष 2021 में शुभमस्तु की महिला पुरोहित नंदिनी भौमिक ने पहली बार दक्षिण काेलकाता के 66 पल्ली में वर्ष 2021 में महिला पुरोहितों से दुर्गा पूजा की शुरुआत की थी।वर्ष 2023 में भी 16 महिला पुरोहितों के साथ 66 पल्ली में नंदिनी भौमिक, रूमा राॅय, सेयमंती बनर्जी और पौलमी चक्रवर्ती ने पूजा करवायी थी। नंदिनी भौमिक ने बताया, ‘66 पल्ली ने ही मुझे सबसे पहले पूजा कराने को कहा था, लेकिन उस समय मैं काफी हिचक रही थी। हालांकि हमने काफी अध्ययन किया और इसके बाद वर्ष 2021 से पूजा की शुरुआत की। हमारी टीम शुभमस्तु में कुल 19 महिलाएं हैं जो अलग-अलग टीमों में बंटकर पूजा करवाती हैं। इस बार कोलकाता में हम लेक गार्डेन, जादवपुर सेंट्रल पार्क और न्यू गरिया के पूजा पण्डालों में पूजा करवा रहे हैं। नीदरलैंड में भी एक टीम गयी है। इसके अलावा विदेशों में भी हमने महिलाओं को ट्रेनिंग दी है। यूके, यूएसए और सिएटेल में ट्रेनिंग दी गयी है।’
विदेशों में भी महिला पुरोहितों की भूमिका बढ़ी
सिएटेल में पूजा करवा रहीं प्रियंका गांगुली ने बताया कि यह उनका तीसरा वर्ष है जब वह दुर्गा पूजा करवायेंगी। उन्होंने बताया कि सिएटेल हमारे लिए ‘होम अवे फ्रॉम होम’ है। हम लोग दो दिन पूजा करते हैं और उसके लिए एक दिन पहले सेट अप कर लेते हैं। संधि पूजा के समय हम दुर्गा आरती करते हैं जहां 101 महिलाओं द्वारा आरती की जाती है।
‘महिलाओं को लेकर आये कई बदलाव’
पिछले 5 वर्षों से दुर्गा पूजा समेत विभिन्न पूजा कराने वाली संस्था ‘लेडी पुरोहित’ की वर्णाली घोष ने सन्मार्ग से कहा कि गत 5 वर्षों में कोलकाता व कोलकाता के बाहर भी दुर्गा पूजा में महिला पुरोहितों की काफी मांग आ रही है। केवल दुर्गा पूजा ही नहीं बल्कि अब जगद्धात्री पूजा, लक्ष्मी पूजा, उपनयन संस्कार समेत शादी-विवाह समारोहों में भी महिला पुरोहितों की भागीदारी काफी बढ़ी है। इस बार हमने पहली बार सॉल्टलेक में राज्य सरकार के विद्युत विभाग की विश्वकर्मा पूजा भी करायी। दुर्गा पूजा को लेकर इस बार भी काफी मांग आ रही है, हम कोलकाता के बाहर दिल्ली और बंगलुरु में पूजा के लिए जा रहे हैं। घर की पूजा से लेकर आवासनों की पूजा के लिए मांग आयी। उन्होंने कहा, ‘समाज काफी आगे बढ़ गया है और अब समाज में महिलाओं को लेकर काफी बदलाव आये हैं।’
यहां पूरी तरह महिलाएं संभालेंगी कमान
महानगर में एक पूजा कमेटी ऐसी भी है जहां दुर्गा पूजा की पूरी कमान ही इस बार महिलाएं संभाल रही हैं। फूलबागान स्थित सिटीजन्स फोरम सार्वजनिन ने पहली बार महिला संचालित पूजा करने का निर्णय लिया है। मालिनी अग्रवाल ने बताया कि कमेटी में 18 साल की युवती से लेकर 80 साल की बुजुर्ग तक हैं जिन्होंने पूजा के आयोजन में विशेष रुचि दिखायी। कमेटी द्वारा बांग्लादेश के दिनाजपुर स्थित रामकृष्ण बेलूड़ मठ में होने वाली दुर्गा, काली और सरस्वती पूजा के लिए सजावट प्रदान की गयी।