दीघा के जगन्नाथ मंदिर में आये विदेशी पर्यटक 
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दीघा के जगन्नाथ मंदिर में बढ़े विदेशी श्रद्धालु

कोलकाता : दीघा स्थित जगन्नाथ मंदिर में विदेशी सैलानियों की काफी भीड़ उमड़ रही है। बताया गया कि रूस, यूक्रेन, बेलारुस, लाटविया, लिथुआनिया समेत अन्य यूरोपियन देशों से 20 विदेशी सैलानियों का समूह नवनिर्मित जगन्नाथ मंदिर में आया। श्री श्री जगन्नाथ, बलदेव और सुभद्रा देवी के पहली बार दर्शन करना इन लोगों के लिए काफी भावुकपूर्ण पल रहा। यह मंदिर, पुरी धाम में स्थित प्रतिष्ठित जगन्नाथ मंदिर की वास्तुकला की प्रतिकृति है, जो दुनिया भर के भक्तों के लिए एक पवित्र स्थल के रूप में उभरा है, खासकर उन लोगों के लिए जिन्हें पारंपरिक प्रतिबंधों के कारण पुरी के मूल मंदिर में प्रवेश करने की अनुमति नहीं है।


पर्यटकों ने बयां की अपनी खुशी

यूक्रेन के वादिम क्रिस्टोव ने आंखों में आंसू भरकर कहा, ‘यह मेरे जीवन का सबसे दिव्य क्षण है। मैंने कभी नहीं सोचा था कि मैं पुरी जैसे मंदिर में भगवान जगन्नाथ के दर्शन कर पाऊंगा। मैं हमारे जैसे भक्तों के लिए इसे संभव बनाने के लिए पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री का दिल से आभार व्यक्त करता हूं।’ लिथुआनिया की वायलेटा ज़िगो ने अपनी भावनाओं को साझा करते हुए कहा, ‘जिस क्षण मैंने देवताओं को देखा, मुझे भगवान के साथ एक गहरा जुड़ाव महसूस हुआ। यह मंदिर उन सभी अंतरराष्ट्रीय भक्तों के लिए एक आशीर्वाद है जो जगन्नाथ के दर्शन का अनुभव करने के लिए तरस रहे हैं। हम इस असाधारण उपहार के लिए पश्चिम बंगाल सरकार के वास्तव में आभारी हैं।’

इस्कॉन भक्तों को मिला सुनहरा मौका

समूह के साथ आए इस्कॉन कोलकाता के उपाध्यक्ष राधारमण दास ने कहा, ‘150 से अधिक देशों के लाखों इस्कॉन भक्तों के पास अब एक ऐसा स्थान है जहां वे आकर जगन्नाथ की दिव्य उपस्थिति को महसूस कर सकते हैं। हम पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री को उनके दृष्टिकोण और समर्थन के लिए हार्दिक धन्यवाद देते हैं। हमें दुनिया भर से कॉल आ रहे हैं जहां विदेशी लोग देवताओं के दर्शन करने के लिए दीघा आना चाहते हैं। यह मंदिर दीघा के लिए एक महान आर्थिक उत्प्रेरक भी साबित हो रहा है, क्योंकि तीर्थयात्रियों और आध्यात्मिक पर्यटकों की बढ़ती आमद के कारण होटल, स्थानीय व्यवसाय, परिवहन सेवाएं और पर्यटन क्षेत्र में उल्लेखनीय वृद्धि देखी जा रही है। यह दीघा को आध्यात्मिक और आर्थिक गतिविधि दोनों के एक जीवंत केंद्र में बदल रहा है।’

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