कोलकाता : वर्ष 2003 में पर्यावरणविद् डॉ. सुभाष दत्ता द्वारा दायर मामले के आधार पर निर्देश दिया था कि हावड़ा में वैकल्पिक भगाड़ की व्यवस्था आवश्यक है। हावड़ा के भगाड़ में अब और कचरा जमाने की क्षमता नहीं है। हालांकि इस पर कोई कार्रवाई नहीं की गयी जिसके बाद वर्ष 2008 में भी कोर्ट ने भगाड़ को हटाने का निर्देश दिया था। वर्ष 2003 के बाद गत 22 वर्षों में पालिका इलाका काफी बढ़ा है। वहीं दूसरी ओर, मुख्य भगाड़ की आधी जमीन भी बेदखल हो गयी है। ऐसे में वैकल्पिक स्थान ढूंढने की काफी आवश्यकता है। अब सरकार को जगह मिल गयी है। ऐसे में पर्यावरणविद सुभाष दत्ता का मानना है कि अब समस्या का समाधान हो सकेगा। इस मामले में हावड़ा की डीएम द्वारा दाखिल एफिडेविट में कहा गया है कि एनजीटी के निर्देशों के अनुपालन में, हावड़ा नगर निगम क्षेत्र में बेलगछिया भगाड़ डंपिंग यार्ड पर मिट्टी की क्षमता खत्म होने के मामले में एक्शन टेकेन रिपोर्ट तैयार की गयी है। मिट्टी की विफलता और बेलगछिया भगाड़ डंप यार्ड में लगातार लैंड शिफ्टिंग की प्राप्त रिपोर्टों के आधार पर हावड़ा जिला प्रशासन ने शहरी विकास व पालिका मामलों के विभाग और केएमडीए के साथ मिलकर तकनीकी विशेषज्ञों की टीम दौरा कर समस्याओं का पता लगाने के साथ ही शॉर्ट व लांग टर्म में समाधान निकालने के उपाय बता रही है।
कई कारणों से भगाड़ में हुआ धंसान
केएमडीए के वरिष्ठ इंजीनियरों और जादवपुर यूनिवर्सिटी के प्रोफेसरों की एक्सपर्ट टीम ने साइट का दौरा किया और निष्कर्ष निकाला कि कई कारणों से भगाड़ में मिट्टी की क्षमता पूरी तरह खत्म हो गयी और इलाके में दरारें आयी हैं। काफी अधिक कचरा फेंकने और लेगसी वेस्ट काफी जमा हो जाने के कारण मिट्टी की धरातल पर वर्टिकल दबाव बना। मिथेन के संचय और जल रिसाव के कारण कचरे के ढेर में दरारें पड़ी, जिससे मिट्टी कमजोर हो जाती है। क्षतिग्रस्त जल निकासी प्रणाली ने कचरे के ढेर के नीचे सब-सॉयल को और कमजोर कर दिया, क्योंकि लेगसी वेस्ट से विषाक्त रिसाव का संचयन हो रहा था। केएमडीए द्वारा चल रही जैव-खनन गतिविधियों के कारण डंप यार्ड के एक क्षेत्र से विरासत अपशिष्ट की निकासी के कारण मिट्टी की सतह पर दबाव का असममित वितरण, जिससे उप-मिट्टी की परतें अस्थिर हो जाती हैं और मिट्टी ऊपर उठ जाती है तथा भूमि धंस जाती है। गत 24 मार्च को इसे लेकर शहरी विकास व पालिका मामलों के विभाग द्वारा बैठक की गयी थी जिसमें बायो माइनिंग प्रक्रिया के लिये निर्देश दिये गये थे। भगाड़ में और कचरा ना फेंके जाने का निर्देश दिया गया, जिसके बाद से ही भगाड़ में कचरा फेंकना बंद है। इंटिग्रेटेड वेस्ट प्रोसेसिंग प्लांट के निर्माण के लिए लोकेशन चिह्नित करने के लिए भी निर्देश दिये गये थे।