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वेव्स फिल्म बाजार : उम्मीदों, सपनों, कल्पनाओं को साकार करने का मेला

बड़े फिल्म निर्माता किरण राव, विक्रमादित्य मोटवानी, शनुक सेन, इरा दुबे और शकुन बतरा जैसे दिग्गजों ने भी अपनी फिल्मों के लिए बाजार खोजा।

पणजी से सर्जना शर्मा

गोवा में चल रहे भारतीय अंतरराष्ट्रीय फिल्म महोत्सव (IFFI) में सबसे ज्यादा रौनक है मैरियट रिजोर्ट में। जहां लगा है वेव बाजार। यहां उम्मीदें, आकांक्षाएं, संभावनाएं, फिल्म को वित्तपोषण मिलने की उम्मीदें पूरी होती है। इस साल का बाजार कुछ अलग है। केंद्र सरकार ने दक्षिण एशिया के सिनेमा को बड़ा बाजार देने के लिए इसी साल मुंबई में वेव्स शिखर सम्मेलन किया था। राष्ट्रीय फिल्म विकास निगम (NFDC) और IFFI ने मिलकर वेव्स बाजार का आयोजन किया।

इसमें 20-20 सीट के तीन थियेटर बनाए गए। अपनी फिल्म दिखाने के इच्छुक निर्माता-निर्देशक अपनी फिल्मों का रफ कट, आधी बनी फिल्म, बड़े सीरियल के मास्टर एपिसोड लेकर यहां आते हैं। वेव्स उनकी फिल्मों के खरीददार, फाइनेंसर, आइडिया लेकर आए युवा सिनेमाकार को निर्माता-निर्देशक दिलाता है। NFDC के प्रबंध निदेशक प्रकाश मकदूम ने बताया कि इस साल 25 देशों की 36 भाषाओं की 179 फिल्में मिलीं।

ये आम आदमी के लिए नहीं, ये केवल उनके लिए हैं जो फिल्म ,निर्माण, निर्देशन, पटकथा लेखन, डिस्ट्रीब्यूशन, फिल्म फाइनेन्स आदि से जुड़े हैं। बड़े फिल्म निर्माता किरण राव, विक्रमादित्य मोटवानी, शनुक सेन, इरा दुबे और शकुन बतरा जैसे दिग्गजों ने भी अपनी फिल्मों के लिए बाजार खोजा। जो लोग फिल्म बनाने के लिए साझीदार खोज रहे हैं उनके लिए सह निर्माण विभाग, आधी बनी और रफ कट के लिए वर्क इन प्रोग्रेस लैब विभाग है।

दुनिया के बेहतरीन निर्माता-निर्देशक और विभिन्न फिल्म फेस्टीवलों के निदेशक इनको देखते हैं, सलाह देते हैं और मदद करते हैं। इस साल इस श्रेणी में 6 फिल्में चुनी गयी थीं। व्यूईन्ग रूम (अवलोकन कक्ष) श्रेणी में 230 फिल्मों का प्रदर्शन किया गया। 5 दिन तक यहां नोलेज शेयर कार्यक्रम के तहत 20 सत्र रखे गए। प्रकाश के अनुसार, वेव्स बाजार ऐसा प्रयास है जहां रचनात्मकता संभावनाओं से मिलती है, जहां कल्पनाओं को नए पंख मिलते है।

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