पणजी से सर्जना शर्मा
भारतीय अंतरराष्ट्रीय फिल्म महोत्सव (IFFI) इस वर्ष गोवा की संस्कृति के रंग में रंगा होगा। गोवा अपने कार्निवल के कारण दुनियाभर में मशहूर है। अपनी स्थापना के 56 वर्ष में पहली बार अंतरराष्ट्रीय फिल्म महोत्सव का उद्घाटन किसी सभागार में नहीं, गोवा की सड़कों पर लोगों के बीच होगा। परेड का नेतृत्व आंध्र प्रदेश, हरियाणा और गोवा की भव्य राज्य झांकियां करेंगी, जिनमें से प्रत्येक अपनी पहचान और कल्पना का जीवंत चित्रण पेश करेगी। आंध्र प्रदेश की झांकी में विशाखापत्तनम के सुनहरे तटों, अराकू की रहस्यमयी घाटियों और टॉलीवुड की जीवंत आत्मा का आकर्षण होगा। हरियाणा की झांकी में हरियाणवी लोकगीत, रंगमंच, संस्कृति और सिनेमाई गौरव का रंगीन संगम प्रस्तुत किया जाएगा। गोवा, जो अब कई वर्षों से इफ्फी महोत्सव का घर बन चुका है अपनी कार्निवल संस्कृति से चार चांद लगाएगा।
20 नवंबर को 26 जनवरी-सी झलक
जिस तरह से 26 जनवरी को दिल्ली में कर्तव्य पथ पर गणतंत्र दिवस परेड होती है, उसी तरह 20 नवंबर की दोपहर गोवा की सड़कों पर भी कुछ ऐसा ही नजारा देखने को मिलेगा। राज्यों के साथ-साथ भारत के प्रमुख प्रोडक्शन हाउसों की भव्य सिनेमा झांकियां भी चलेंगी। अखंड 2 की पौराणिक शक्ति, राम चरण की पेड्डी की भावनात्मक गहराई, मैथरी मूवी मेकर्स की रचनात्मक शक्ति, जी स्टूडियोज की प्रतिष्ठित विरासत, होम्बले फिल्म्स का वैश्विक दृष्टिकोण, बिंदुसागर की ओडिया विरासत, गुरुदत्त को अल्ट्रा मीडिया की शताब्दी श्रद्धांजलि और वेव्स ओटीटी का जीवंत कहानी कहने का क्षेत्र- ये सभी भारतीय सिनेमा की असीम विविधता को प्रदर्शित करेंगे। NFDC की 50 वर्ष की झांकी ऐतिहासिक आयाम जोड़ते हुए कार्निवल का हिस्सा बनेगी। इसमें 50 साल के सिनेमाई नवाचार सिमटे होंगे।
सितारे जमीं पर
गुरुवार दोपहर 3.30 बजे एंटरटेनमेंट सोसाइटी ऑफ़ गोवा कार्यालय से कला अकादमी तक पहली बार इस तरह की सिनेमाई परेड निकलेगी, जो सितारे जमीं पर कहावत को मुहावरे से सच्चाई में बदल देगी। केंद्रीय संचार ब्यूरो के ‘भारत एक सुर’ से परेड का शुभारंभ होगा। ये भारत के 16 राज्यों के 100 से ज्यादा कलाकारों की एक मंत्रमुग्ध कर देने वाली लोक संगीत प्रस्तुति है। इसमें भांगड़ा का गरबा से लावणी का घूमर से, बिहू का छऊ और नटी के साथ मिलन होगा। अंत में ये सब भारत की शान तिरंगा स्वरूप में एकाकार हो जायेंगे। साथ ही बड़े और छोटे पर्दे की वो सुनहरी यादें ताजा होंगी, जिनको हम भूल चुके हैं। इनमें कई पुराने टीवी सीरियलों की झांकी शामिल होगी।