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एशिया कप फाइनल : भारत को एकजुट होकर खेलना होगा

वर्षों से भारत-पाकिस्तान मुकाबले में रोमांच की कमी नहीं रही है लेकिन शायद ही कभी यह इतनी उथल-पुथल भरी पृष्ठभूमि में हुआ जब क्रिकेट के मैदान के बाहर का तनाव, उत्तेजक इशारे और दोनों पक्षों पर लगे जुर्माने इससे जुड़े हुए प्रतीत हों।

दुबई : जीत ही सब कुछ नहीं होती लेकिन 11 भारतीय क्रिकेटर रविवार को यहां एशिया कप फाइनल में पाकिस्तान के खिलाफ उतरेंगे तो उनकी नजरें सिर्फ जीत हासिल करने पर टिकी होंगी। इस हाई-वोल्टेज मुकाबले की तैयारी के बीच मैदान पर खेल और मैदान के बाहर की राजनीति के बीच की रेखाएं धुंधली पड़ गई हैं। अमेरिकी राजनीतिक कार्यकर्ता और लेखक माइक मार्कुसी के शब्दों में यह ‘बिना गोलीबारी के युद्ध’ जैसा है। वर्षों से भारत-पाकिस्तान मुकाबले में रोमांच की कमी नहीं रही है लेकिन शायद ही कभी यह इतनी उथल-पुथल भरी पृष्ठभूमि में हुआ जब क्रिकेट के मैदान के बाहर का तनाव, उत्तेजक इशारे और दोनों पक्षों पर लगे जुर्माने इससे जुड़े हुए प्रतीत हों।

फिर भी शोरगुल से परे क्रिकेट अपने आप में आकर्षक रहा है और इस दौरान सुर्खियां अभिषेक शर्मा के 200 से अधिक के शानदार स्ट्राइक रेट और कुलदीप यादव के 13 विकेट ने बटोरी। अफसोस की बात है कि ये उपलब्धियां भी अक्सर टकराव और बहस की भेंट चढ़ जाती हैं। इसकी शुरुआत भारत की पहले मैच में ‘हाथ नहीं मिलाने की’ नीति से हुई जब कप्तान सूर्यकुमार यादव टॉस के समय और मैच के बाद हाथ मिलाए बिना चले गए। पाकिस्तान के तेज गेंदबाज हारिस राऊफ ने तानों, अपशब्दों और यहां तक कि विमान दुर्घटना का इशारा करके जवाब दिया जिससे एक ऐसा बवाल मचा कि दोनों ही आईसीसी की जांच के घेरे में आ गए और उन पर 30 प्रतिशत का जुर्माना लगाया गया।

आग में घी डालने का काम करते हुए पाकिस्तान के गृह मंत्री मोहसिन नकवी अपनी ‘एक्स’ टाइमलाइन पर लगातार रहस्यमय लेकिन भड़काऊ पोस्ट डालते रहे हैं। नकवी पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड और एशियाई क्रिकेट परिषद के प्रमुख भी हैं। हालांकि कागजों पर भारत टूर्नामेंट में अब तक अजेय है और लगातार छह जीत के क्रम के दौरान सिर्फ श्रीलंका ने उसे सुपर ओवर तक धकेला है। इसके विपरीत पाकिस्तान फाइनल तक लड़खड़ाता हुआ पहुंचा है लेकिन जैसा कि उनके मुख्य कोच माइक हेसन ने बांग्लादेश को हराने के बाद व्यंग्यात्मक लहजे में कहा, ‘फाइनल ही एकमात्र मैच है जो मायने रखता है।’ यहां तक कि भारत के सहयोगी स्टाफ ने भी यही भावना व्यक्त की।

मैच से पहले प्रेस कांफ्रेंस के लिए आए गेंदबाजी कोच मोर्ने मोर्कल ने स्वीकार किया कि अब सुंदरता मायने नहीं रखती, ‘बदसूरत जीत भी जीत होती है।’ भारत का अपराजित अभियान सहज रहा है लेकिन चोटों से मुक्त नहीं रहा। श्रीलंका के खिलाफ हार्दिक पंड्या को पैर की मांसपेशियों में चोट के कारण एक ओवर के बाद ही मैदान से बाहर होना पड़ा जबकि अभिषेक शर्मा को भी गर्मी में ऐंठन की शिकायत हुई। मोर्कल ने शुक्रवार रात को आश्वस्त किया, ‘हार्दिक की कल सुबह जांच की जाएगी। उन्हें और अभिषेक दोनों को ऐंठन हुई है लेकिन अभिषेक ठीक है।’ यह खबर राहत देने वाली है क्योंकि पंजाब के बाएं हाथ के इस बल्लेबाज ने छह मैच में 309 रन बनाकर अकेले ही भारत की बल्लेबाजी का भार उठाया है।

यह अंतर साफ दिख रहा है क्योंकि तिलक वर्मा 144 रन के साथ दूसरे नंबर पर हैं। असली सवाल यह है कि क्या भारत के बाकी खिलाड़ी अभिषेक का बखूबी साथ निभा पाएंगे। सूर्यकुमार से बड़ी पारी की उम्मीद है। शुभमन गिल मुकाबले को खत्म नहीं कर पा रहे जबकि संजू सैमसन और तिलक जैसे खिलाड़ी श्रीलंका के खिलाफ महज औपचारिकता के मैच में ही अच्छा प्रदर्शन कर पाए हैं। अब तक अभिषेक ने पावरप्ले में अच्छा प्रदर्शन किया लेकिन अगर वह असफल रहे तो क्या होगा? पूरे टूर्नामेंट के दौरान अभिषेक के अलावा अन्य बल्लेबाज बिल्कुल भी विश्वसनीय प्रदर्शन नहीं कर पाए हैं और शीर्ष क्रम के लड़खड़ाने पर कोई भी ‘प्लान बी’ के बारे में नहीं जानता।

अगर भारत अभिषेक पर बहुत अधिक निर्भर है तो पाकिस्तान की कमजोरियां और भी अधिक स्पष्ट हैं। टीम का बल्लेबाजी क्रम काफी प्रभावी नहीं रहा है। जसप्रीत बुमराह को कुछ समय परेशान करने वाले साहिबजादा फरहान के अलावा अन्य बल्लेबाज दमदार प्रदर्शन नहीं कर पाए हैं। सईम अयूब का अभियान बेहद निराशाजनक रहा है। वह चार बार शून्य पर आउट हुए और एक समय तो टूर्नामेंट में उनके नाम पर रन से अधिक विकेट दर्ज थे। हुसैन तलत और सलमान अली आगा भारतीय स्पिनरों के सामने लड़खड़ा गए। रविवार का मैच एक बार फिर कुलदीप यादव और वरुण चक्रवर्ती की चतुराई से तय हो सकता है।

पाकिस्तान की उम्मीदें नई गेंद से उसके खिलाड़ियों के आक्रामक प्रदर्शन पर टिकी हैं। अगर शाहीन शाह अफरीदी और हारिस राऊफ भारत के शीर्ष क्रम को जल्दी ध्वस्त कर देते हैं तो यह कम स्कोर वाला मुकाबला हो सकता है। लेकिन अभिषेक पर भारत की अत्यधिक निर्भरता की तरह शाहीन और राऊफ को भी अच्छे साथी गेंदबाजों की कमी खल रही है। रविवार के मुकाबले को शायद शिष्टाचार के लिए कम और नतीजे के लिए अधिक याद किया जाएगा। जैसा कि एक पुरानी कहावत है, ‘अंत भला तो सब भला।’ भारत के लिए केवल एक ही स्वीकार्य अंत है: पाकिस्तान पर जीत, चाहे वह अच्छी लगे या खराब।

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