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अमेरिकी शुल्क का भारत की दीर्घकालिक संभावनाओं पर नहीं होगा असर

यी दिल्ली : अमेरिका के उच्च शुल्क से भारत की दीर्घकालिक वृद्धि संभावनाओं पर प्रभाव पड़ने के आसार नहीं है, क्योंकि सरकार आर्थिक सुधारों पर ध्यान दे रही है और लोगों के जीवनस्तर में सुधार लाने का प्रयास कर रही है। एसएंडपी ग्लोबल रेटिंग्स के निदेशक यीफार्न फुआ ने कहा, ‘ हम उम्मीद करते हैं कि वृद्धि की यह गतिशीलता अगले तीन वर्ष तक जारी रहेगी और औसत वृद्धि दर करीब 6.8 प्रतिशत रहेगी। अगर भारत में बुनियादी ढांचे और संपर्क में सुधार होता है, तो इससे दीर्घकालिक आर्थिक वृद्धि में बाधा डालने वाली अड़चनें दूर होंगी। साथ ही भारत की संभावित वृद्धि यात्रा और आगे बढ़ेगी।’

भारत की विकास गाथा मजबूत : फुआ ने कहा, निर्यात के मामले में अमेरिका के प्रति भारत का योगदान सकल घरेलू उत्पाद का मात्र एक प्रतिशत है। इसलिए, भले ही शुल्क ऊंचे बने रहें हमें नहीं लगता कि इसका भारत की दीर्घकालिक वृद्धि संभावनाओं पर कोई समग्र प्रभाव पड़ेगा। अल्पावधि में इससे वृद्धि पर कुछ मामूली असर पड़ सकता है लेकिन दीर्घावधि में हमारा मानना है कि भारत की विकास गाथा मजबूत बनी रहेगी।

क्या है स्थिति : एसएंडपी ग्लोबल रेटिंग्स ने भारत की साख को स्थिर परिदृश्य के साथ बढ़ाकर पिछले सप्ताह ‘बीबीबी’ कर दिया। रेटिंग एजेंसी ने मजबूत आर्थिक वृद्धि, राजकोषीय मजबूती के लिए राजनीतिक प्रतिबद्धता और महंगाई को काबू में लाने के लिए बेहतर मौद्रिक नीतिगत उपायों का हवाला देते हुए 19 साल बाद भारत की रेटिंग में सुधार किया है। साख निर्धारित करने वाली एजेंसी एसएंडपी ग्लोबल रेटिंग्स ने भारत की साख को स्थिर परिदृश्य के साथ बढ़ाकर पिछले सप्ताह ‘बीबीबी’ कर दिया। रेटिंग एजेंसी ने मजबूत आर्थिक वृद्धि, राजकोषीय मजबूती के लिए राजनीतिक प्रतिबद्धता और महंगाई को काबू में लाने के लिए बेहतर मौद्रिक नीतिगत उपायों का हवाला देते हुए 19 साल बाद भारत की रेटिंग में सुधार किया है।

बेहतर प्रदर्शन : फुआ ने भारत की रेटिंग बढ़ाने पर आयोजित ‘वेबिनार’ में कहा कि भारत दुनिया की सबसे मजबूत और सबसे अच्छा प्रदर्शन करने वाली अर्थव्यवस्थाओं में से एक है। भारत पिछले तीन से चार वर्ष में अपने क्षेत्रीय समकक्षों की तुलना में वृद्धि के मामले में बेहतर प्रदर्शन कर रहा है।

85 प्रतिशत घरेलू कारकों द्वारा संचालित : उच्च अमेरिकी शुल्क के प्रभाव पर एसएंडपी एशिया प्रशांत के अर्थशास्त्री विश्रुत राणा ने कहा कि भारत की अर्थव्यवस्था अपेक्षाकृत कम व्यापार-उन्मुख है, जिसमें बाह्य मांग का योगदान समग्र अर्थव्यवस्था में केवल 15 प्रतिशत है और 85 प्रतिशत घरेलू कारकों द्वारा संचालित है। यह एक बहुत ही घरेलू अर्थव्यवस्था है। यह सुरक्षा का एक कारक है। एक अन्य कारक यह है कि भारत से निर्यात किए जाने वाले सभी उत्पादों पर 50 प्रतिशत का उच्च शुल्क लागू नहीं होता है।

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