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नौ प्रतिशत रहेगी बड़े राज्यों की राजस्व वृद्धि

कोलकाता : देश के बड़े राज्यों की राजस्व वृद्धि चालू वित्त वर्ष 2025-26 में सात से नौ प्रतिशत बढ़कर 40 लाख करोड़ रुपये हो सकती है। रेटिंग एजेंसी क्रिसिल रेटिंग्स ने शोध रिपोर्ट में कहा कि यह गत वित्त वर्ष 2024-25 की 6.6 प्रतिशत की वृद्धि से थोड़ा अधिक है। हालांकि, यह दशकीय वृद्धि दर करीब 10 प्रतिशत से कम है। 18 बड़े राज्यों जिनकी सकल राज्य घरेलू उत्पाद में 90 प्रतिशत से अधिक हिस्सेदारी है उनकी राजस्व वृद्धि चालू वित्त वर्ष में सात से नौ प्रतिशत की दर से बढ़ने की संभावना है जो लगभग 40 लाख करोड़ रुपये होगी।

राज्यों के राजस्व स्रोत : राजस्व वृद्धि में वृद्धि को स्थिर जीएसटी संग्रह और केंद्र द्वारा कर के हिस्से के हस्तांतरण से समर्थन मिलेगा। महाराष्ट्र, गुजरात, कर्नाटक, तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल 18 बड़े राज्यों में शामिल हैं। राज्यों के राजस्व स्रोतों में दो चीजें... स्वयं का कर राजस्व और केंद्र से प्राप्त धन शामिल हैं।

स्वयं के कर राजस्व में लगभग आठ प्रतिशत की वृद्धि : रिपोर्ट में कहा गया कि चालू वित्त वर्ष में इन राज्यों के स्वयं के कर राजस्व में लगभग आठ प्रतिशत की वृद्धि होने की उम्मीद है, जो जीएसटी एवं आबकारी कर के दम पर दर्ज की जाएगी जबकि पेट्रोलियम कर में मामूली वृद्धि होगी। केंद्र प्रायोजित योजनाओं के लिए अधिक व्यय के कारण केंद्र से मिलने वाले अनुदान में तीन से चार प्रतिशत की वृद्धि का अनुमान है। इस गणना में चालू वित्त वर्ष में भारत की बाजार मूल्य पर जीडीपी की वृद्धि दर नौ प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया गया है।

वैश्विक अनिश्चितताएं : हालांकि, वैश्विक अनिश्चितताएं, घरेलू उपभोग एवं मुद्रास्फीति के रुझान इन अनुमानों को प्रभावित कर सकते हैं। इसमें कहा गया कि स्थायी राजस्व वृद्धि सुनिश्चित करने के लिए राज्यों को अपने राजस्व में विस्तार एवं संग्रह दक्षता में सुधार पर ध्यान केंद्रित करना होगा।

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