मुंबई : भारतीय स्टेट बैंक के अर्थशास्त्रियों ने कहा कि नई श्रम संहिताओं (नए लेबर कोड) को लागू करने से देश में खपत 75,000 करोड़ रुपये तक बढ़ जाएगी। साथ ही इस कदम से संगठित क्षेत्र में काम करने वालों की संख्या में कम से कम 15 प्रतिशत की बढ़ोतरी होगी।
85 प्रतिशत तक लोगों को सामाजिक सुरक्षा : उन्होंने कहा कि 21 नवंबर से लागू हुई इन संहिताओं से अगले तीन साल में 85 प्रतिशत तक लोगों को सामाजिक सुरक्षा मिलने लगेगी और मध्यम अवधि में बेरोजगारी दर 1.3 प्रतिशत तक कम हो जाएगी।
प्रतिदिन 66 रुपये की अतिरिक्त खपत : एसबीआई के अर्थशास्त्रियों ने एक रिपोर्ट में कहा, ''लगभग 30 प्रतिशत बचत दर को देखते हुए, श्रम संहिताओं के लागू होने के बाद हर व्यक्ति प्रतिदिन 66 रुपये की अतिरिक्त खपत कर सकेगा। इससे कुल मिलाकर लगभग 75,000 करोड़ रुपये की खपत बढ़ेगी।''
जरूरतों के अनुरूप श्रमशक्ति तैयार होगी : उन्होंने कहा कि ये चारों श्रम संहिताएं श्रमिकों के साथ-साथ कंपनियों को भी सशक्त बनाएंगी और। इससे सुरक्षित, उत्पादक और आज की जरूरतों के अनुरूप श्रमशक्ति तैयार होगी।
करीब 10 करोड़ लोगों को फायदा : सामाजिक सुरक्षा बढ़ने के बारे में रिपोर्ट कहती है कि असंगठित क्षेत्र में करीब 44 करोड़ लोग काम करते हैं, जिनमें से लगभग 31 करोड़ मजदूर ई-श्रम पोर्टल पर पंजीकृत हैं। अगर इनमें से 20 प्रतिशत लोग भी अनौपचारिक वेतन से संगठित वेतन व्यवस्था में आ जाएं, तो करीब 10 करोड़ लोगों को फायदा होगा।उन्होंने कहा कि अगर ऐसा हुआ तो अगले दो-तीन साल में सामाजिक सुरक्षा कवरेज 80-85 प्रतिशत तक पहुंच जाएगा।
औपचारिक रोजगार : संगठित रोजगार बढ़ने के बारे में रिपोर्ट में बताया गया कि औपचारिक रोजगार की दर में 15.1 प्रतिशत तक का इजाफा हो सकता है। बेरोजगारी दर में कमी सुधारों के लागू होने, कंपनियों के समायोजन खर्च और राज्यों के पूरक नियमों पर निर्भर करेगी।