नयी दिल्ली : हाल में छोटी (स्मॉल कैप) और मझोली कंपनियों (मिडकैप) के शेयरों में अत्यधिक उतार-चढ़ाव के बीच बाजार विशेषज्ञों का कहना है कि ‘स्मॉलकैप’ और ‘मिडकैप’ फंड भी अच्छा प्रदर्शन करते हैं लेकिन उपयुक्त कंपनियों और कीमत के स्तर पर सही मूल्यांकन का चुनाव करना जरूरी है। उनका यह भी कहना है कि किसी शेयर की अस्थिरता या जोखिम को मापने वाला मिड और स्मॉल कैप का ‘बीटा’ प्रमुख सूचकांक निफ्टी 50 के मुकाबले एक से भी कम है, जो बताता है कि ये उतने अस्थिर नहीं हैं जितना माना जाता है।
कैसे होती है पहचान : भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) के मानदंडों के अनुसार, बाजार पूंजीकरण के लिहाज से शीर्ष 100 कंपनियों को लार्जकैप, 101 से 250 कंपनियों को मिडकैप 251 से ऊपर की सूची वाली इकाइयों को स्मॉलकैप की श्रेणी में रखा जाता है। जहां लार्जकैप कंपनियों का बाजार पूंजीकरण लगभग 20,000 करोड़ रुपये या उससे अधिक होता है, वहीं मिडकैप कंपनियों का लगभग 5,000 करोड़ रुपये से लेकर 20,000 रुपये के बीच और छोटी कंपनियों का बाजार पूंजीकरण 5,000 करोड़ रुपये से कम होता है।हाल में यह देखा गया है कि मध्यम और छोटी कंपनियों के शेयरों में काफी उतार-चढ़ाव आया है और इसमें निवेश करने वाले निवेशकों को अच्छा-खासा नुकसान हुआ है। कई विशेषज्ञों ने लोगों को ऐसी कंपनियों से दूर रहने की भी सलाह दी है।
लार्ज-कैप : आनंद राठी वेल्थ लि. के कार्यकारी निदेशक और प्रमुख (उत्पाद और शोध) चेतन शेनॉय ने कहा, ‘निवेशकों को पता होना चाहिए कि प्रत्येक श्रेणी की उनके पोर्टफोलियो में एक अलग भूमिका है। लार्ज-कैप यानी बड़ी कंपनियों के शेयर अपनी स्थिरता, मजबूत वित्तीय स्थिति और आर्थिक उतार-चढ़ाव में बेहतर तरीके से प्रबंधित करने की क्षमता के लिए जाने जाते हैं। ये निवेशक के निवेश पर जोखिम को कम करने के साथ स्थिर वृद्धि प्रदान करने के लिए आदर्श हैं।’’
मिड-कैप : उन्होंने कहा, ‘‘वहीं मिड-कैप शेयर वृद्धि और जोखिम का अच्छा मिश्रण प्रदान करते हैं। ये अक्सर बाजार में तेजी के समय अच्छा प्रदर्शन करते हैं, लेकिन गिरावट के दौरान थोड़े अस्थिर हो सकते हैं।
स्मॉल-कैप : स्मॉल-कैप शेयर में वृद्धि की उच्च संभावना होती है, लेकिन बाजार में गिरावट के दौरान ये तेजी से गिर सकते हैं।’’ शेनॉय के अनुसार, चालू वित्त वर्ष में हालात बेहतर दिख रहे हैं। लार्ज कैप में लगभग 10 प्रतिशत, मिड कैप में करीब 14 प्रतिशत और स्मॉल कैप में अब तक 17.5 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। पिछले साल, वैश्विक स्तर पर तनाव और कंपनियों की कमजोर आय के कारण शेयर बाजार का प्रदर्शन हल्का रहा। इस साल कंपनियों की आय में सुधार दिख रहा है, जिससे बाजार को सहारा मिल रहा है।