मुंबई : वैश्विक व्यापार अनिश्चितताओं के बीच प्रमुख विदेशी मुद्राओं के मुकाबले डॉलर में मजबूती से निवेशकों की जोखिम लेने की क्षमता कमजोर होने से अंतरबैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में बृहस्पतिवार को रुपया, अमेरिकी मुद्रा के मुकाबले 35 पैसे टूटकर 88.20 पर बंद हुआ।
क्या रहा कारण : भारत पर अमेरिकी शुल्क की चिंताओं और विदेशी पूंजी की निरंतर निकासी के कारण घरेलू मुद्रा दबाव में रही। व्यापारियों ने अमेरिकी फेडरल रिजर्व के इस संकेत का भी आकलन किया कि वह शेष वर्ष के लिए उधारी लागत में लगातार कमी लाएगा।
क्या रही स्थिति : एचडीएफसी सिक्योरिटीज के वरिष्ठ शोध विश्लेषक दिलीप परमार ने कहा, रुपये की चार दिन की तेजी में एक रुकावट आई, जो क्षेत्रीय मुद्राओं में कमजोरी को दर्शाती है। फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दरों में 0.25 प्रतिशत की कटौती के बाद डॉलर में तेज़ी से उछाल आया, खासकर जब संकेत मिला है कि वर्ष 2025 के अंत तक दो और कटौतियां प्रस्तावित हैं।
आक्रामक रुख : मिराए एसेट शेयरखान के शोध विश्लेषक (जिंस और मुद्रा) अनुज चौधरी ने कहा ‘फेडरल रिजर्व के आक्रामक रुख और अमेरिकी डॉलर में उछाल के कारण भारतीय रुपये में भारी गिरावट आई।
ब्याज दरों में 0.25 प्रतिशत की कटौती : फेडरल रिजर्व ने अनुमान के अनुरूप ब्याज दरों में 0.25 प्रतिशत की कटौती की है। फेडरल रिजर्व को वर्ष 2025 में दो बार और 0.25 प्रतिशत कटौती 2026 में केवल एक बार 0.25 प्रतिशत कटौती की उम्मीद है। चौधरी ने कहा कि सकारात्मक घरेलू बाजार और नए एफआईआई प्रवाह की उम्मीदें भी रुपये को समर्थन दे सकती हैं। हालांकि, अमेरिकी डॉलर या अमेरिकी बॉन्ड प्रतिफल में कोई भी सुधार तेज बढ़त को रोक सकता है।
डॉलर सूचकांक : इस बीच, छह प्रमुख मुद्राओं के मुकाबले डॉलर की मजबूती को मापने वाला डॉलर सूचकांक 0.02 प्रतिशत बढ़कर 96.89 पर पहुंच गया।