नयी दिल्ली : भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने बुधवार को उन विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) के लिए नियमों को सरल बनाने एवं नियामकीय अनुपालन को सुगम बनाने का फैसला किया जो खास तौर पर भारत सरकार के बॉन्ड (जी-सेक) में निवेश करते हैं। सेबी के इस कदम का उद्देश्य भारत में अधिक दीर्घकालिक बॉन्ड निवेशकों को आकर्षित करना है।फिलहाल विदेशी निवेशक तीन मार्गों- सामान्य, स्वैच्छिक प्रतिधारण मार्ग (वीआरआर) और पूर्ण सुलभ मार्ग (एफएआर) के जरिये भारतीय ऋण प्रतिभूतियों में निवेश करते हैं। इनमें से वीआरआर और एफएआर अधिक बंदिशों के बगैर निवेश की अनुमति देते हैं।
सुविधाजनक बनाने में मदद : सेबी ने बयान में कहा, ‘‘जोखिम आधारित दृष्टिकोण और अनुकूलतम नियमन के जरिये कारोबारी सुगमता बढ़ाने के इरादे से निदेशक मंडल ने सभी ऐसे मौजूदा एवं संभावित एफपीआई के लिए कुछ नियामकीय प्रावधानों को नरम करने के प्रस्ताव को मंजूरी दी है जो खासकर सरकारी प्रतिभूतियों में निवेश करते हैं। इन उपायों से सरकारी प्रतिभूतियों में एफपीआई के निवेश को सुविधाजनक बनाने में और मदद मिलने की उम्मीद है।’’
केवाईसी समीक्षा : सरकारी प्रतिभूतियों में निवेश करने वाले एफपीआई के लिए स्वीकृत छूट के तहत, ऐसे एफपीआई के लिए अनिवार्य केवाईसी समीक्षा की अवधि को आरबीआई के प्रावधानों के अनुरूप बनाया जाएगा। ऐसा होने पर ऐसे विदेशी निवेशकों की अनिवार्य केवाईसी समीक्षा कम बार होगी। इसके अलावा एफएआर के तहत भारत सरकार के बॉन्ड में निवेश करने वाले मौजूदा एवं संभावित एफपीआई को निवेशक समूह का विवरण देने की भी जरूरत नहीं होगी।