मुंबई : भारतीय रिजर्व बैंक ने बताया कि करीब छह महीने की कवायद के बाद कुल 5,673 पुराने और अब अप्रासंगिक हो चुके सर्कुलर को पूरी तरह रद्द कर दिया गया है। इसके अलावा 3,800 से ज्यादा अभी भी प्रासंगिक सर्कुलरों को विभिन्न खंडों में बांटकर 244 मास्टर निर्देश तैयार किए गए हैं। अब किसी भी बैंक या नियंत्रित संस्था को नियमों का पालन करने के लिए सिर्फ अपने काम से जुड़े मास्टर निर्देश देखने होंगे। कुल मिलाकर 9,446 सर्कुलर या तो मास्टर निर्देशों में समाहित किए गए हैं या उन्हें रद्द कर दिया गया है।
सबसे पुराने सर्कुलर साल 1944 के थे : डिप्टी गवर्नर एस सी मुर्मू ने इसे एक बड़ा अभियान बताया। आरबीआई के अधिकारियों ने दशकों से जारी हर एक सर्कुलर को पढ़ा, आज उसकी प्रासंगिकता जांची और जरूरी श्रेणी में रखा। रद्द किए गए सबसे पुराने सर्कुलर साल 1944 के थे, जो सरकारी प्रतिभूतियों के बदले ऋण से जुड़े थे। मुर्मू ने कहा कि इस कदम से बैंकों और अन्य संस्थाओं का अनुपालन खर्च कम होगा, क्योंकि अब नियम एक जगह और आसानी से मिलेंगे। आरबीआई को उम्मीद है कि अब उसके दिशानिर्देशों का पूरी तरह पालन होगा।
ऐसा अभियान पहले कभी नहीं हुआ : उन्होंने बताया कि आरबीआई के इतिहास में ऐसा अभियान पहले कभी नहीं हुआ था। अब तक जरूरत पड़ने पर सर्कुलर जारी होते थे, लेकिन वे कब तक प्रभावी रहेंगे, इसकी कोई समयसीमा नहीं होती थी। गवर्नर संजय मल्होत्रा ने नियंत्रित संस्थाओं के लिए अनुपालन को आसान बनाने पर जोर दिया था, जिसके बाद यह काम हाथ में लिया गया। गौरतलब है कि सरकार भी पुराने कानून रद्द करने या उन्हें आधुनिक बनाने में जुटी है और सेबी भी इसी तरह का अभियान चला रहा है। आरबीआई ने अक्टूबर में 238 मास्टर निर्देशों का मसौदा जारी किया था और शुक्रवार को 244 मास्टर निर्देश जारी किए गए। इसमें डिजिटल बैंकिंग के लिए सात नए मास्टर निर्देश जोड़े गए हैं। अब कोई भी नया नियम या तो मौजूदा मास्टर निर्देश में संशोधन के रूप में जोड़ा जाएगा या नया मास्टर निर्देश ही बनेगा।