रांची : देश में अगली पीढ़ी के परिवहन के लिए एक महत्वाकांक्षी रूपरेखा तैयार की है। इसमें शहरी क्षेत्रों में इलेक्ट्रिक रैपिड ट्रांसपोर्ट, हाइपरलूप और दुर्गम इलाकों में रोपवे, केबल बसें और फनिक्युलर रेलवे शामिल है। केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी यह बात कही।
भारत का परिवहन क्षेत्र : गडकरी ने कहा कि भारत का परिवहन क्षेत्र एक बड़े बदलाव से गुजर रहा है। इसमें ट्री बैंक, मोबाइल-आधारित ड्राइविंग परीक्षण और 11 प्रमुख वाहन विनिर्माताओं द्वारा फ्लेक्स-फ्यूल इंजन जैसी पहल पाइपलाइन में हैं। एजेंडा में 25,000 किलोमीटर के दो-लेन के राजमार्गों को चार लेन में बदलने, प्रमुख मार्गों पर एक इलेक्ट्रिक रैपिड ट्रांसपोर्ट नेटवर्क स्थापित करने और सड़क निर्माण को 100 किलोमीटर प्रति दिन तक बढ़ाना शामिल है। हम नवोन्मेषण को बढ़ावा दे रहे हैं। जन परिवहन में में क्रांति चल रही है। भारत में यात्रा करने के तरीके को बदलने के लिए युद्धस्तर पर काम चल रहा है। इसके तहत न केवल महानगरों, बल्कि दूरदराज के दुर्गम ग्रामीण क्षेत्रों पर भी ध्यान केंद्रित किया जा रहा है। हम केदारनाथ सहित 360 स्थानों पर रोपवे, केबल कार और फनिक्युलर रेलवे का निर्माण कर रहे हैं। इनमें से 60 परियोजनाओं पर काम शुरू हो चुका है।
फनिक्युलर रेलवे : फनिक्युलर रेलवे एक ऐसी प्रणाली है जो लोगों और माल को कुशलतापूर्वक ऊपर और नीचे ले जाने के लिए लिफ्ट और रेलवे तकनीकों को जोड़ती है। ये विशेष रूप से पहाड़ी क्षेत्रों में उपयोगी है। गडकरी ने कहा कि इन परियोजनाओं की लागत 200 करोड़ रुपये से लेकर 5,000 करोड़ रुपये तक है और एक बार पूरा हो जाने पर, ये भारत की सूरत बदल देंगी। बेहतर सड़क बुनियादी ढांचा न केवल अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देगा, बल्कि वृद्धि को गति देने और रोजगार सृजन में भी मदद करेगा। एक साल के भीतर हमारे राजमार्ग अमेरिकी सड़कों के मानक और गुणवत्ता से मेल खाएंगे, जिसपर मैं लगातार जोर दे रहा हूं।वह दिन दूर नहीं जब महानगरों में केबल से चलने वाली बसें, इलेक्ट्रिक रैपिड मास ट्रांसपोर्ट बसें होंगी, जिनमें विमान जैसी सुविधाएं होंगी। दिल्ली और बेंगलुरु जैसे शहरों के लिए मेट्रिनो पॉड टैक्सी, हाइपरलूप प्रणाली और पिलर-आधारित मास रैपिड ट्रांसपोर्ट जैसी पायलट परियोजनाएं पाइपलाइन में हैं।
क्या है स्थिति : टाटा, टोयोटा, हुंदै और महिंद्रा सहित 11 कंपनियों ने फ्लेक्स-ईंधन इंजन वाहन बनाने पर सहमति व्यक्त की है। इससे ईंधन आयात कम होगा और जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता भी कम होगी। फ्लेक्स-फ्यूल वाहन पारंपरिक इंजन से लैस होते हैं जो एक से अधिक ईंधन पर चल सकते हैं। वे मुख्य रूप से एथनॉल और मेथनॉल या जैव ईंधन के मिश्रण और पेट्रोल या डीजल जैसे पारंपरिक ईंधन पर चलने के लिए हैं।