नयी दिल्लीः सरकार ने सभी सूक्ष्म, लघु और मझोले उद्यमों (एमएसएमई) के वर्गीकरण के लिए निवेश और कारोबार की सीमा बढ़ाने की घोषणा की। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि सभी एमएसएमई के वर्गीकरण के लिए निवेश और कारोबार की सीमा को क्रमश: ‘‘2.5 और 2 गुना’’ तक बढ़ाया जाएगा। इससे उन्हें बढ़ने और युवाओं के लिए रोजगार पैदा करने का आत्मविश्वास मिलेगा।
क्या है स्थितिः फिलहाल, एक करोड़ से अधिक पंजीकृत एमएसएमई, 7.5 करोड़ लोगों को रोजगार दे रहे हैं और हमारे विनिर्माण का 36 प्रतिशत उत्पादन कर रहे हैं, जो भारत को वैश्विक विनिर्माण केंद्र के रूप में स्थापित करने के लिए एकजुट हैं। देश के कुल निर्यात में एमएसएमई का हिस्सा 45 प्रतिशत है।
‘सूक्ष्म’ के रूप में वर्गीकृतः बजट घोषणाओं के अनुसार, 2.5 करोड़ रुपये तक के निवेश और 10 करोड़ रुपये से कम कारोबार वाली कोई भी कंपनी ‘सूक्ष्म’ के रूप में वर्गीकृत होगी।
‘लघु’ के रूप मेंः 25 करोड़ रुपये तक के निवेश और 100 करोड़ रुपये तक के कारोबार वाली कंपनी को ‘लघु’ के रूप में वर्गीकृत किया जाएगा।
‘मध्यम’ के रूप मेंः 125 करोड़ रुपये तक के निवेश और 500 करोड़ रुपये से कम कारोबार वाली फर्म को ‘मध्यम’ के रूप में वर्गीकृत किया जाएगा।