नयी दिल्ली : अधिक कर्ज में डूबी कंपनियों के अनुपालन बोझ को कम करने के लिए बाजार नियामक भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (SEBI) ने नई रूपरेखा का प्रस्ताव किया है। अपने परामर्श पत्र में SEBI ने कहा कि इसके तहत अब किसी कंपनी पर एक हजार करोड़ रुपये के बजाय पांच हजार करोड़ रुपये का कर्ज होने पर उच्च मूल्य कर्ज वाली सूचीबद्ध इकाइयों (HVDIL) में शामिल करने का प्रस्ताव है। इस कदम से HVDIL के रूप में वर्गीकृत इकाइयों की संख्या वर्तमान के 137 से 64 प्रतिशत घटकर 48 हो जाएगी। प्रस्ताव का उद्देश्य अनुपालन बोझ को कम करना तथा कारोबार सुगमता को बढ़ावा देना है। HVDIL के लिए कॉरपोरेट प्रशासन मानदंड पहली बार सितंबर, 2021 से 31 मार्च, 2025 तक अनुपालन-या-स्पष्टीकरण के आधार पर पेश किए गए थे। अप्रैल, 2025 से ये अनिवार्य हो गए। ये मानदंड 1,000 करोड़ रुपये या उससे अधिक की सूचीबद्ध बकाया गैर-परिवर्तनीय ऋण प्रतिभूतियों वाली सभी इकाइयों पर लागू होते हैं। सेबी ने इन प्रस्तावों पर 17 नवंबर तक टिप्पणियां मांगी हैं।
क्या होगा असर : इन नियमों के लागू होने के बाद कई बाजार सहभागियों ने वर्गीकरण के लिए उच्च सीमा बढ़ाने के लिए SEBI से संपर्क किया। एक बार HVDIL के रूप में नामित होने के बाद किसी कंपनी को सूचीबद्ध कंपनियों के समान कामकाज के मानकों का पालन करना पड़ता है जिसमें तिमाही रिपोर्ट एवं वार्षिक अनुपालन रिपोर्ट प्रस्तुत करना और निदेशक मंडल की संरचना मानदंडों का पालन करना शामिल है।
समयसीमा : SEBI ने आवधिक अनुपालन रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए निर्धारित 21-दिवसीय समयसीमा को अधिक लचीले प्रावधान से बदलने का भी सुझाव दिया है जिससे बोर्ड को आवश्यकतानुसार समयसीमा निर्धारित करने की अनुमति मिल सके। इसने HVDIL के लिए अपने आवधिक अनुपालन रिपोर्ट के साथ संबंधित पक्ष लेनदेन (RPT) का खुलासा करने की आवश्यकता को हटाने का भी प्रस्ताव रखा है। नियामक ने HVDIL के सचिवीय लेखा परीक्षकों की नियुक्ति, पुनर्नियुक्ति, उन्हें पद से हटाने और अयोग्यता के लिए प्रावधान लाने का भी सुझाव दिया है। संबंधित पक्ष लेनदेन के संबंध में सेबी ने ऋणपत्र न्यासियों और ऋणपत्र धारकों से अनापत्ति प्रमाणपत्र (NOC) की आवश्यकता को बरकरार रखने का प्रस्ताव दिया है।