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एमएसएमई के अधिग्रहण पर अंकुश की पहल

नयी दिल्ली : संसद की समिति ने सरकार और भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआई) से विलय एवं अधिग्रहण के लिए 2,000 करोड़ रुपये के सौदा मूल्य सीमा की फिर से समीक्षा करने की सिफारिश की है। यह सुझाव सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) का नियामकीय जांच के बगैर बड़ी कंपनियों के हाथों अधिग्रहण रोकने के लिए दिया गया है। वित्त मामलों की स्थायी समिति ने ‘अर्थव्यवस्था में, खासकर डिजिटल परिदृश्य में सीसीआई की बदलती भूमिका’ पर संसद में पेश रिपोर्ट में कहा है कि प्रतिस्पर्धा आयोग को ‘पोस्टमार्टम’ जैसी प्रतिक्रियात्मक पद्धति से हटकर सक्रिय रणनीति अपनानी चाहिए।

नीतिगत हस्तक्षेप : समिति ने सुझाव दिया है कि सीसीआई उभरते क्षेत्रों में क्षेत्र-विशिष्ट बाजार अध्ययन का विस्तार करे और उनके निष्कर्षों के आधार पर नीतिगत हस्तक्षेप करे।विलय एवं अधिग्रहण सौदे की मौजूदा मूल्य सीमा 2,000 करोड़ रुपये है और इससे अधिक मूल्य वाले लेनदेन के लिए सीसीआई की मंजूरी जरूरी होती है।एमएसएमई से जुड़े अधिग्रहणों के लिए यदि बाजार अध्ययन में जरूरत दिखे तो सौदे की मूल्य सीमा घटाई जा सकती है। इसके साथ ही समिति ने प्रमुख ऑनलाइन खुदरा मंचों द्वारा कम मूल्य निर्धारण और भारी छूट की सक्रिय जांच जारी रखने, ऐसे मामलों के लिए स्पष्ट दिशा-निर्देश बनाने और छोटे कारोबारियों को बड़े डिजिटल उद्यमों के डेटा तक पहुंच उपलब्ध कराने की सिफारिश की।

उपाय सुझाने को कहा : प्रतिस्पर्धा आयोग की तरफ से 30 अप्रैल, 2025 तक लगाए गए 20,350.46 करोड़ रुपये के जुर्माने में से 18,512.28 करोड़ रुपये पर अपीलीय अदालतों ने या तो रोक लगा दी है या उसे निरस्त कर दिया है। शेष 1,838.19 करोड़ रुपये में से 1,823.57 करोड़ रुपये की वसूली कर सीसीआई ने 99.20 प्रतिशत की वसूली दर हासिल की है। संसदीय समिति ने सीसीआई और कॉरपोरेट कार्य मंत्रालय से लंबित मुकदमों में देरी कम करने और डिजिटल बाजार से जुड़े जटिल मामलों में आदेशों का प्रभावी प्रवर्तन सुनिश्चित करने के उपाय सुझाने को कहा।

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