नयी दिल्ली : चालू वित्त वर्ष 2025-26 में भारत की अर्थव्यवस्था के 6.5 प्रतिशत और अगले वित्त वर्ष 2026-27 में 6.7 प्रतिशत की दर से बढ़ने का अनुमान है। एसएंडपी ग्लोबल रेटिंग्स ने कहा कि कर कटौती और मौद्रिक नीति में ढील से उपभोग आधारित वृद्धि को बढ़ावा मिलेगा। भारत का वास्तविक सकल घरेलू उत्पाद (GDP) चालू वित्त वर्ष की अप्रैल से जून अवधि में पांच तिमाहियों में सबसे तेज 7.8 प्रतिशत की दर से बढ़ने का अनुमान है। दूसरी तिमाही (जुलाई-सितंबर) के जीडीपी वृद्धि अनुमानों के आधिकारिक आंकड़े 28 नवंबर को जारी होने वाले हैं। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने चालू वित्त वर्ष में भारत की GDP वृद्धि दर 6.8 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया है जो गत वित्त वर्ष 2024-25 की 6.5 प्रतिशत की वृद्धि दर से बेहतर है।
क्या है कारण : अपनी ‘इकोनॉमिक आउटलुक एशिया-पैसिफिक रिपोर्ट’ में S&P ने कहा, हमारा अनुमान है कि भारत की GDP वित्त वर्ष 2025-26 (मार्च 2026 को समाप्त) में 6.5 प्रतिशत और वित्त वर्ष 2026-27 में 6.7 प्रतिशत की दर से बढ़ेगी, जिसमें जोखिम दोनों ओर संतुलित होंगे। अमेरिकी शुल्क के प्रभाव के बावजूद मजबूत खपत से प्रेरित घरेलू वृद्धि मजबूत बना हुई है। माल एवं सेवा कर (GST) की कम दरें मध्यम वर्ग के उपभोग को बढ़ावा देंगी और इस वर्ष शुरू की गई आयकर कटौती एवं ब्याज दरों में कटौती का पूरक बनेंगी। इन बदलावों से चालू वित्त वर्ष और अगले वित्त वर्ष में निवेश की तुलना में उपभोग वृद्धि का एक बड़ा चालक बन सकता है।
अमेरिका भारतीय उत्पादों पर शुल्क कम कर सकता है : सरकार ने वित्त वर्ष 2025-26 के बजट में आयकर छूट को सात लाख रुपये से बढ़ाकर 12 लाख रुपये कर दिया है, जिससे मध्यम वर्ग को एक लाख करोड़ रुपये की कर राहत मिली है। इसके अलावा RBI ने जून में प्रमुख नीतिगत दरों में 0.5 प्रतिशत की कटौती करके उन्हें तीन साल के निचले स्तर 5.5 प्रतिशत पर ला दिया था। वहीं, 22 सितंबर से करीब 375 वस्तुओं पर GST दरें घटा दी गईं जिससे दैनिक उपभोग की वस्तुएं सस्ती हुई हैं। S&P ने कहा कि भारत पर प्रभावी अमेरिकी शुल्क में बढ़ोतरी से देश में निर्यातोन्मुखी विनिर्माण के विस्तार पर असर पड़ रहा है। ऐसे संकेत हैं कि अमेरिका भारतीय उत्पादों पर शुल्क कम कर सकता है।