नयी दिल्ली : भारत के कृत्रिम मेधा (एआई) बाजार के उसके वर्तमान आकार से तीन गुना होकर 2027 तक 17 अरब अमेरिकी डॉलर से अधिक हो जाने की उम्मीद है। ऐसा उद्यम प्रौद्योगिकी में बढ़ते निवेश, एक समृद्ध डिजिटल परिवेश और कुशल पेशेवरों के दम पर मुमकिन होगा। बोस्टन कंसल्टिंग ग्रुप (बीसीजी) ने यह बात कही है। बीसीजी ने अपनी रिपोर्ट ‘भारत की एआई छलांग: उभरती चुनौतियों पर बीसीजी परिप्रेक्ष्य’ में कहा कि भारत में 6,00,000 से अधिक एआई पेशेवरों, 70 करोड़ इंटरनेट उपयोगकर्ताओं और पिछले तीन वर्ष में 2,000 से अधिक एआई स्टार्टअप के साथ एक संपन्न एआई परिवेश है। भारत 2025 में 45 नए डेटा सेंटर जोड़ने की योजना बना रहा है, जिससे 152 सेंटर के मौजूदा नेटवर्क में अतिरिक्त 1,015 मेगावाट क्षमता जुड़ जाएगी।
प्रशिक्षण एवं अनुसंधान : सरकार की इंडियाएआई पहल, 10,000 करोड़ रुपये से अधिक के कोष के साथ, राष्ट्रीय एआई कंप्यूट अवसंरचना स्थापित करेगी जो एआई मॉडल प्रशिक्षण एवं अनुसंधान के लिए 10,000 से अधिक ‘ग्राफिक्स प्रोसेसिंग यूनिट’ (जीपीयू) तक पहुंच प्रदान करेगी।बीसीजी इंडिया के प्रबंध निदेशक एवं भागीदार मनदीप कोहली ने कहा, ‘‘ एआई अब एक विकल्प नहीं बल्कि एक व्यावसायिक जरूरत है। भारतीय कंपनियां परंपरागत वृद्धि के रास्तों को पार करने और वैश्विक मंच पर आत्मविश्वास से प्रतिस्पर्धा करने के लिए इसका इस्तेमाल कर रही हैं।’’