नयी दिल्ली : इलेक्ट्रॉनिक सहित विभिन्न घरेलू कंपनियों के साथ चीन की कंपनियों के सहयोग के लिए भारत लचीला रुख अपना रहा है। एक सरकारी सूत्र ने बताया कि करीब 60 प्रतिशत इलेक्ट्रॉनिक विनिर्माण चीन में होता है, इसलिए इसे नजरअंदाज करना आसान नहीं है। भारत और चीन के बीच रिश्ते सुधर रहे हैं। ऐसे संकेत मिल रहे हैं। पर्यटक वीजा की सुविधा शुरू कर दी गई है। इलेक्ट्रॉनिक में 60 प्रतिशत विनिर्माण चीन में होता है। इसलिए, किसी न किसी तरह का सहयोग तो होना ही चाहिए।
क्या है मामला : चीन की कंपनियों के साथ डिक्सन के संयुक्त उद्यम के लिए सरकारी मंजूरी से संबंधित एक प्रश्न पर उन्होंने यह बात कही।डिक्सन टेक्नोलॉजीज को चीनी समकक्ष लॉन्गचियर के साथ संयुक्त उद्यम (जेवी) बनाने के लिए भारत सरकार से मंजूरी मिल गई है।यह संयुक्त उद्यम डिक्सन और लॉन्गचियर की सिंगापुर स्थित अनुषंगी कंपनी के बीच स्थापित किया जाएगा।
क्या है स्थिति : डिक्सन संयुक्त उद्यमों के लिए कई चीन की कंपनियों से संपर्क कर रही है। इसने मोबाइल फोन और लैपटॉप जैसे इलेक्ट्रॉनिक सामानों में इस्तेमाल होने वाले इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के निर्माण एवं बिक्री के लिए चीन की इलेक्ट्रॉनिक घटक कंपनियों चोंगकिंग युहाई प्रिसिजन मैन्युफैक्चरिंग कंपनी लिमिटेड और कुनशान क्यू टेक्नोलॉजी की भारतीय इकाई के साथ अलग-अलग समझौतों पर हस्ताक्षर किए हैं। कंपनी चीन की स्मार्ट फोन विनिर्माता कंपनी वीवो के साथ संयुक्त उद्यम स्थापित करने की दिशा में भी काम कर रही है।