नयी दिल्ली : मुख्य आर्थिक सलाहकार वी. अनंत नागेश्वरन ने कहा कि भारत वैश्विक व्यापार के लिए अंतरराष्ट्रीय मुद्रा के रूप में अमेरिकी डॉलर के विकल्प के रूप में किसी अन्य मुद्रा के उपयोग के किसी भी प्रस्ताव पर विचार नहीं कर रहा है। नागेश्वरन ने कहा, ‘नहीं, बिल्कुल नहीं। मुझे लगता है कि भारत ऐसी किसी पहल का हिस्सा नहीं है।’ हालांकि पिछले साल अक्टूबर में रूस के कजान में आयोजित ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में भारत और अन्य ब्रिक्स देशों ने स्थानीय मुद्रा में सीमापार भुगतान के निपटान पर विचार किया था और एक विशेष 'ब्रिक्स मुद्रा' लाने पर सहमति जताई थी। नागेश्वरन ने वैकल्पिक मुद्रा के सवाल पर कहा कि इस समय अमेरिकी डॉलर का कोई बहुत व्यावहारिक विकल्प उपलब्ध नहीं है और इसके उभार में अभी और लंबा समय लग सकता है।
क्या है मामला : अक्टूबर 2024 में आयोजित 16वें ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के घोषणापत्र में कहा गया था, ‘हम व्यापार बाधाओं को कम करने और भेदभाव-रहित पहुंच के सिद्धांत पर आधारित तेज, कम लागत वाले, अधिक कुशल, पारदर्शी, सुरक्षित और समावेशी सीमा पार भुगतान साधनों के व्यापक लाभों को पहचानते हैं। हम ब्रिक्स देशों और उनके व्यापारिक साझेदारों के बीच वित्तीय लेन-देन में स्थानीय मुद्राओं के उपयोग का स्वागत करते हैं। ब्रिक्स दुनिया की तेजी से उभरती अर्थव्यवस्थाओं का एक समूह है जिसमें ब्राजील, रूस, भारत, चीन, दक्षिण अफ्रीका, मिस्र, इथियोपिया, ईरान और संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) शामिल हैं। इसका उद्देश्य बहुपक्षीय मंचों पर उभरती अर्थव्यवस्था के एकीकृत दृष्टिकोण को बढ़ावा देना है।
क्या है स्थिति : केंद्रीय बैंक अपने विदेशी मुद्रा भंडार को विविधिकृत आधार पर बनाए हुए हैं। उन्होंने कहा कि रिजर्व बैंक ने पिछले कुछ वर्षों में सोने की खरीद में भी अपनी हिस्सेदारी बढ़ाई है। मुख्य आर्थिक सलाहकार ने कहा, ‘इसलिए, सोने सहित विदेशी मुद्रा भंडार की संरचना पर लगातार ध्यान दिया जा रहा है।’