नयी दिल्ली : सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों और वित्तीय संस्थानों को वित्त मंत्रालय ने निर्देश दिया है कि वे अपनी कंपनियों के पूर्णकालिक निदेशकों से जुड़े सतर्कता संबंधी मामलों की जानकारी तुरंत दें।
क्या है मामला : यह निर्देश वित्त मंत्रालय के अंतर्गत आने वाले वित्तीय सेवा विभाग ने ऐसे कई मामलों के बाद जारी किया है, जिनमें बोर्ड स्तर पर नियुक्त किए गए अधिकारियों के बारे में नकारात्मक या समस्याग्रस्त जानकारी समय पर साझा नहीं की गई।
सतर्कता मंजूरी : कई मामलों में, ऐसी महत्वपूर्ण नकारात्मक जानकारी जैसे निजी शिकायतें, अदालत के नोटिस या टिप्पणियां, संदर्भ या सीबीआई और अन्य कानून प्रवर्तन एजेंसियों की जानकारी केवल उस समय साझा की जा रही है जब सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों के मुख्य सतर्कता अधिकारियों (COC) से विशेष रूप से सतर्कता मंजूरी मांगी जाती है।
फॉर्म में नहीं भरा जाता : बिना किसी विशेष मामले का जिक्र किए इस माह जारी की गई सलाह में कहा गया कि कुछ मामलों में पूरे समय कार्यरत निदेशकों से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी को सतर्कता मंजूरी के फॉर्म में नहीं भरा जाता, इस वजह से कि ऐसे खुलासे के लिए कोई अलग कॉलम मौजूद नहीं है।
गंभीर चिंता का विषय : सलाह में कहा गया कि किसी भी महत्वपूर्ण जानकारी को छोड़ना, खासकर नियुक्ति, पदोन्नति, बोर्ड स्तर की नियुक्ती और पूरे समय कार्यरत निदेशकों की तैनाती से जुड़ी जानकारी, गंभीर चिंता का विषय है। इसलिए सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों से ऐसी मामलों में सख्त पालन की उम्मीद की जाती है।
पूरी और विस्तृत जानकारी : इसके साथ ही विभाग ने उन्हें यह सलाह भी दी कि सतर्कता मंजूरी देने के समय उन्हें पूरी और विस्तृत जानकारी देनी चाहिए। इस जानकारी में अदालत या न्यायाधिकरण के आदेश, आंतरिक समितियों की जांच रिपोर्ट, गंभीर प्रकार की लेखा जांच टिप्पणियां और किसी भी विभाग या एजेंसी से प्राप्त पत्राचार शामिल होना चाहिए।