नयी दिल्लीः वाणिज्य मंत्रालय ने अमेरिकी शुल्क के जोखिम के बीच विशेष रूप से चमड़ा और कपड़ा जैसे श्रम-गहन क्षेत्रों के घरेलू निर्यातकों को उनके हितों की रक्षा का आश्वासन दिया। वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल की अध्यक्षता में एक ऑनलाइन बैठक के दौरान निर्यात से संबंधित मुद्दों पर चर्चा की गई। इस्पात जैसे क्षेत्रों ने निर्यात पर अमेरिकी शुल्क के संभावित प्रभाव पर चिंता जताई।
बैठक में वाणिज्य सचिव सुनील बर्थवाल और विदेश व्यापार महानिदेशक (डीजीएफटी) संतोष कुमार सारंगी भी शामिल हुए। बैठक में शामिल उद्योग प्रतिनिधियों में से एक ने कहा कि मंत्रालय अमेरिका के साथ प्रस्तावित द्विपक्षीय व्यापार समझौते पर तेजी से काम कर रहा है।
यह चर्चा इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि गोयल हाल ही में अमेरिका के वाणिज्य मंत्री के साथ व्यापार वार्ता के बाद वाशिंगटन से लौटे हैं। अमेरिका ने दो अप्रैल से जवाबी शुल्क लगाने का प्रस्ताव किया है। इसने पहले ही इस्पात और एल्युमीनियम पर ये शुल्क लगा दिए हैं। उद्योग के एक अन्य प्रतिनिधि ने कहा कि निर्यातक समुदाय जवाबी शुल्क लगाने की अमेरिकी चेतावनी से चिंतित है क्योंकि इससे अमेरिका को भारत के निर्यात पर असर पड़ सकता है, जो इसका सबसे बड़ा व्यापार साझेदार है।
कुल मिलाकर, बैठक में अधिकांश क्षेत्रों ने इस शुल्क युद्ध से भारतीय निर्यातकों के लिए संभावित अवसरों का उल्लेख किया... हम उन आयात पर विचार कर सकते हैं जिन्हें चीन से अमेरिका में भेजा जा सकता है। प्रतिनिधि ने कहा कि भारत किसी अन्य विकसित देश के साथ मुक्त व्यापार समझौते पर बातचीत शुरू करने की घोषणा कर सकता है।
क्या है स्थितिः भारत के निर्यात में जनवरी में लगातार तीसरे महीने गिरावट आई और यह सालाना आधार पर 2.38 प्रतिशत घटकर 36.43 अरब डॉलर रहा। जबकि व्यापार घाटा बढ़कर 22.99 अरब डॉलर हो गया। निर्यातकों के शीर्ष निकास फियो के महानिदेशक अजय सहाय ने कहा, ‘‘हमें अमेरिका से भारत के लिए अच्छे ऑर्डर मिल रहे हैं, लेकिन शुल्क को लेकर अनिश्चितता के कारण जो माल भेजा जा रहा है, वह अपेक्षाकृत कम मूल्य का है। हम शुल्क मामले में चीजें स्पष्ट होने का इंतजार कर रहे हैं।’’