ट्रंप का टैरिफ बम 
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अमेरिकी टैरिफ के प्रभाव से निर्यातकों को बचाने की सरकार ने की तैयारी

नयी दिल्ली : अमेरिकी शुल्क के प्रभाव से कपड़ा और रसायन जैसे क्षेत्रों के निर्यातकों को बचाने के लिए सरकार कुछ समर्थन उपायों पर काम कर रही है। एक अधिकारी ने सोमवार को यह जानकारी दी। अधिकारी ने बताया कि वाणिज्य मंत्रालय ने इस्पात, खाद्य प्रसंस्करण, इंजीनियरिंग, समुद्री और कृषि सहित कई क्षेत्रों के निर्यातकों के साथ बैठकें की हैं ताकि उच्च शुल्क के कारण उन्हें होने वाली समस्याओं को समझा जा सके।

क्या है मामला : अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सात अगस्त से अमेरिका में प्रवेश करने वाले भारतीय सामानों पर 25 प्रतिशत अतिरिक्त आयात शुल्क लगाने की घोषणा की है। खाद्य, समुद्री और वस्त्र सहित विभिन्न क्षेत्रों के भारतीय निर्यातकों ने 25 प्रतिशत शुल्क से निपटने के लिए सरकार से वित्तीय सहायता और किफायती ऋण का अनुरोध किया है। निर्यातक सरकार से ब्याज सब्सिडी और निर्यातित उत्पादों पर शुल्कों एवं करों की छूट (आरओडीटीईपी) और राज्य एवं केंद्रीय करों व शुल्क की छूट (आरओएससीटीएल) जैसी योजनाओं के तहत बकाया राशि का समय पर भुगतान और अमेरिका के लिए सीधे निर्यात जैसे राजकोषीय प्रोत्साहनों का विस्तार करने का अनुरोध भी कर रहे हैं।

क्या है स्थिति : अधिकारी ने बताया कि मंत्रालय इन मांगों पर विचार कर रहा है। मंत्रालय निर्यातकों को समर्थन देने के लिए राज्यों के साथ भी बातचीत करेगा।अमेरिका के उच्च शुल्क से प्रभावित होने वाले क्षेत्रों में वस्त्र/परिधान, रत्न एवं आभूषण, झींगा, चमड़ा एवं जूते, रसायन तथा विद्युत एवं यांत्रिक मशीनरी शामिल हैं। एक निर्यातक ने कहा कि कपड़े की कुछ चीजें, रसायनों व झींगा जैसे क्षेत्र अधिक नुकसानदेह स्थिति में हैं। इन क्षेत्रों में भारत के प्रतिस्पर्धी देशों बांग्लादेश (20 प्रतिशत), वियतनाम (20 प्रतिशत) और थाईलैंड (19 प्रतिशत) पर शुल्क कम है। एक अन्य निर्यातक ने कहा कि अमेरिका भारतीय झींगे का एक प्रमुख निर्यात गंतव्य है। अब निर्यातकों को ब्रिटेन, चीन और जापान जैसे नए बाजार तलाशने चाहिए। अनिश्चितताओं के बावजूद अमेरिका में स्मार्टफोन निर्यात सहित इलेक्ट्रॉनिक वस्तुओं में अच्छी वृद्धि दर्ज की जा रही है।

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