मुंबई : ऊंची कीमतों के बीच अप्रैल-जून तिमाही के दौरान सोने की वैश्विक मांग सालाना आधार पर तीन प्रतिशत बढ़कर 1,249 टन हो गई है। विश्व स्वर्ण परिषद (डब्ल्यूजीसी) ने एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी। डब्ल्यूजीसी की 2025 की दूसरी तिमाही की स्वर्ण मांग प्रवृत्ति रिपोर्ट के अनुसार, मजबूत स्वर्ण निवेश प्रवाह ने तिमाही वृद्धि को काफी हद तक बढ़ावा दिया। तेजी से अप्रत्याशित होते भू-राजनीतिक माहौल और मूल्य गति ने मांग को बनाए रखा। गोल्ड ईटीएफ में निवेश की कुल मांग में महत्वपूर्ण भूमिका रही।
भारत में 10 प्रतिशत घटी : विश्व स्वर्ण परिषद (डब्ल्यूजीसी) ने कहा कि सोने के दाम में रिकॉर्ड तेजी के कारण भारत में मूल्यवान धातु की मांग अप्रैल-जून तिमाही में 10 प्रतिशत घटकर 134.9 टन रही। एक साल पहले इसी तिमाही में मांग 149.7 टन थी। डब्ल्यूजीसी ने ‘स्वर्ण मांग रुख, दूसरी तिमाही 2025’ शीर्षक से जारी रिपोर्ट में कहा कि मूल्य के लिहाज से, इस साल दूसरी तिमाही में सोने की मांग 30 प्रतिशत बढ़कर 1,21,800 करोड़ रुपये हो गई। जबकि 2024 की इसी तिमाही में यह 93,850 करोड़ रुपये थी। कीमतें पहली बार 1,00,000 रुपये प्रति 10 ग्राम के मनोवैज्ञानिक स्तर को पार कर गईं। सोने की बढ़ती कीमतों ने देश में आभूषणों की मांग को प्रभावित किया। आलोच्य तिमाही के दौरान यह 17 प्रतिशत घटकर 88.8 टन रह गई, जबकि 2024 की इसी तिमाही में यह 106.5 टन थी।
मूल्य के अनुसार आभूषणों की मांग 20 प्रतिशत बढ़ी : हालांकि, मूल्य के अनुसार आभूषणों की मांग 20 प्रतिशत बढ़कर 80,150 करोड़ रुपये रही, जो 2024 की अप्रैल-जून तिमाही में 66,810 करोड़ रुपये थी। डब्ल्यूजीसी के क्षेत्रीय सीईओ (भारत) सचिन जैन ने कहा, जब हम 2025 की दूसरी तिमाही में भारत के स्वर्ण बाजार के प्रदर्शन पर गौर करते हैं, तो यह स्पष्ट है कि हम उपभोक्ता व्यवहार में एक महत्वपूर्ण मोड़ देख रहे हैं। भौतिक सोने की मांग 10 प्रतिशत की गिरावट के साथ 134.9 टन रहने के बावजूद, मूल्य के लिहाज से मांग 30 प्रतिशत की प्रभावशाली वृद्धि के साथ बढ़ी है।