नयी दिल्ली : कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) ने जून महीने में शुद्ध रूप से 21.89 लाख सदस्य जोड़े जो अप्रैल 2018 में पेरोल यानी नियमित वेतन पर रखे गये लोगों की संख्या जारी होने की शुरुआत के बाद सबसे अधिक है। श्रम मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक, ईपीएफओ ने जून 2025 में शुद्ध रूप से 21.89 लाख सदस्य जोड़े जो सालाना आधार पर 13.46 प्रतिशत और मासिक आधार पर 9.14 प्रतिशत अधिक है। शुद्ध रूप से इतने अधिक सदस्यों के जुड़ने के पीछे रोजगार अवसर बढ़ने और ईपीएफओ की जागरूकता की अहम भूमिका रही है।
नए अंशधारक : जून में 10.62 लाख नए अंशधारक ईपीएफओ के साथ जुड़े, जो मई की तुलना में 12.68 प्रतिशत और सालाना आधार पर 3.61 प्रतिशत अधिक है। इनमें 18-25 आयु वर्ग के 6.39 लाख युवा शामिल हैं, जो कुल नए ग्राहकों का 60.22 प्रतिशत हैं। इस वर्ग में शुद्ध पेरोल वृद्धि 9.72 लाख रही। पहले नौकरी छोड़ चुके करीब 16.93 लाख पुराने सदस्य जून में दोबारा ईपीएफओ के साथ जुड़े। इसमें सालाना आधार पर 19.65 प्रतिशत और मई की तुलना में 5.09 प्रतिशत वृद्धि दर्ज की गई।ईपीएफओ सदस्य अंतिम निपटान के बजाय ईपीएफ खाते में जमा राशि स्थानांतरित कर अपनी सामाजिक सुरक्षा बनाए रखने को प्राथमिकता दे रहे हैं।
नई महिला सदस्य : जून में 3.02 लाख नई महिला सदस्य जुड़ीं, जिससे कुल महिला शुद्ध पेरोल वृद्धि करीब 4.72 लाख रही। इसमें सालाना आधार पर 10.29 प्रतिशत और मासिक आधार पर 11.11 प्रतिशत वृद्धि दर्ज हुई, जो कार्यबल में बढ़ती विविधता को दर्शाती है।
राज्यवार विश्लेषण : राज्यवार विश्लेषण से पता चलता है कि शीर्ष पांच राज्यों- महाराष्ट्र, कर्नाटक, तमिलनाडु, गुजरात और हरियाणा का कुल शुद्ध पेरोल में 61.51 प्रतिशत (करीब 13.46 लाख) योगदान रहा। अकेले महाराष्ट्र का हिस्सा 20.03 प्रतिशत रहा। दिल्ली, उत्तर प्रदेश और तेलंगाना ने भी जून में पांच प्रतिशत से अधिक योगदान दिया। उद्योगवार आंकड़ों में स्कूल, विशेषज्ञ सेवाएं, भवन-निर्माण, विश्वविद्यालय, कॉलेज, इंजीनियरिंग उत्पाद, ट्रेडिंग-व्यापारिक प्रतिष्ठान और वित्त कंपनियों से उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की गई। कुल शुद्ध सदस्यता में से 42.14 प्रतिशत विशेषज्ञ सेवाओं से आई।