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अर्थव्यवस्था स्थिर रुख के साथ वृद्धि के रास्ते पर

धीमी ऋण वृद्धि और निजी निवेश को लेकर चिंता

नयी दिल्ली : चालू वित्त वर्ष में भारतीय अर्थव्यवस्था स्थिर रुख के साथ वृद्धि के रास्ते पर आगे बढ़ रही है। हालांकि, कर्ज वृद्धि में सुस्ती जरूर चिंता का विषय है। वित्त मंत्रालय ने अपनी मासिक आर्थिक समीक्षा में यह बात कही है। वित्त वर्ष 2025-26 की पहली तिमाही में घरेलू आपूर्ति और मांग की बुनियाद मजबूत दिखाई दे रहे हैं। मुद्रास्फीति लक्ष्य के दायरे में रहने और मानसून में अच्छी प्रगति के साथ घरेलू अर्थव्यवस्था अपेक्षाकृत मजबूती के साथ वित्त वर्ष 2025-26 की दूसरी तिमाही में प्रवेश की है। हालांकि, वैश्विक स्तर पर तनाव और नहीं बढ़ा है, लेकिन वैश्विक नरमी, विशेष रूप से अमेरिका में कमजोर आर्थिक वृद्धि दर भारतीय निर्यात की मांग को और कम कर सकती है। अमेरिकी की आर्थिक वृद्धि दर 2025 की पहली तिमाही में 0.5 प्रतिशत घटी है।

क्या है स्थिति : रिपोर्ट में कहा गया, ‘अमेरिकी शुल्क के मोर्चे पर जारी अनिश्चितता आने वाली तिमाहियों में भारत के व्यापार प्रदर्शन पर भारी पड़ सकती है। धीमी ऋण वृद्धि और निजी निवेश आर्थिक गति में तेजी को सीमित कर सकता है।’ इसके अलावा, थोक मूल्य सूचकांक में गिरावट के रुख को देखते हुए, बाजार मूल्य पर आर्थिक गति पर गौर करने की जरूरत होगी। स्थिर मूल्य पर आर्थिक गतिविधियां वास्तविकता से कहीं अधिक बेहतर दिखाई दे सकती हैं। कम उधारी लागत के कारण कंपनियों के बीच बॉन्ड बाजार, विशेष रूप से वाणिज्यिक पत्रों के प्रति बढ़ती रुचि भी इस बदलाव का कारण हो सकता है।

आर्थिक बुनियाद मजबूत : रिजर्व बैंक ने फरवरी से अब तक प्रमुख नीतिगत दर, रेपो में कुल मिलाकर एक प्रतिशत की कमी की है। रोजगार से जुड़ी प्रोत्साहन (ईएलआई) योजना जैसे उपायों के साथ, अब समय आ गया है कि कंपनियां इस दिशा में कदम बढ़ाएं। कुल 99,446 करोड़ रुपये के व्यय के साथ, ईएलआई योजना का उद्देश्य विनिर्माण क्षेत्र पर विशेष ध्यान देते हुए, दो वर्षों की अवधि में देश में 3.5 करोड़ से अधिक नौकरियों के सृजन को प्रोत्साहित करना है। व्यापार तनाव, वैश्विक स्तर पर अस्थिरता और बाहरी अनिश्चितताओं जैसी वैश्विक चुनौतियों के बावजूद, भारत की वृहद आर्थिक बुनियाद मजबूत बनी हुई है। समीक्षा में कहा गया, ‘‘मजबूत घरेलू मांग, राजकोषीय सूझबूझ और मौद्रिक समर्थन की बदौलत, भारत सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में से एक बना रहेगा।

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