नयी दिल्ली : आम लोगों और निवेशकों के हितों का प्रतिनिधित्व करने करने वाले स्वतंत्र निदेशकों से बाजार नियामक SEBI के चेयरमैन तुहिन कांत पांडेय ने यह सुनिश्चित करने का आह्वान किया कि बाजार अवसंरचना संस्थानों (MMI) के संचालन मंडल के सभी प्रमुख निर्णयों में ‘जनहित’ का नजरिया केंद्र में रहे। पांडेय ने जनहित निदेशक (PID) सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि MMI को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि बोर्ड की बैठकों के दौरान जनहित निदेशकों के सभी हस्तक्षेपों का उचित रूप से रिकॉर्ड रखा जाए। जनहित निदेशक (PID) एक स्वतंत्र निदेशक होता है जो प्रतिभूति बाजार में आम जनता और निवेशकों के हितों का प्रतिनिधित्व करता है।
भूमिका भरोसे की : सेबी प्रमुख ने MMI परिवेश के भीतर PID को ‘विश्वास के संरक्षक’ के रूप में वर्णित करते हुए कहा, ‘‘आपकी भूमिका भरोसे की है। साथ ही नैतिक और संस्थागत भी है। आप केवल अनुपालन देखने के लिए नहीं हैं।’’ सेबी प्रमुख ने PID से आग्रह किया कि वे महत्वपूर्ण कार्यों के साथ नियामकीय या अनुपालन से जुड़े कामों के लिए वित्तीय और मानव संसाधनों की पर्याप्तता का आकलन करते समय अपनी स्वतंत्रता का प्रयोग करें। साथ ही उन्हें संचालन और परिचालन संबंधी मुद्दों पर चर्चा करने के लिए प्रबंधन या प्रमुख प्रबंधकीय कर्मियों (KMP) के बिना अलग-अलग बैठकें आयोजित करने की सलाह दी।
जोखिम को उजागर करने का आह्वान : पांडेय ने PID से बोर्ड के विचार-विमर्श में स्वतंत्र निर्णय लेने और उनके द्वारा पहचाने गए किसी भी जोखिम को सक्रिय रूप से उजागर करने का भी आह्वान किया। उन्होंने कहा, ‘अपने संस्थान की संचालन संस्कृति को मजबूत करने वाले नियंत्रण और संतुलन को सुदृढ़ करें।’ भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (SEBI) के प्रमुख ने कहा कि जैसे-जैसे बाजार बढ़ेंगे, पीआईडी की भूमिका और भी चुनौतीपूर्ण होती जाएगी। उन्होंने पीआईडी से आग्रह किया कि वे ‘शेयरधारकों की वैध अपेक्षाओं को अपने संस्थान के अपरिहार्य सार्वजनिक उद्देश्य के साथ संतुलित करें...।’