भारत-यूरोपीय संघ 
बिजनेस

India-EU व्यापार समझौते के लिए मतभेदों को दूर करने की जरूरत

यूरोपीय संघ के साथ द्विपक्षीय वस्तु व्यापार वित्त वर्ष 2024-25 में 136.53 अरब डॉलर था

नयी दिल्ली : भारत और यूरोपीय संघ के बीच प्रस्तावित मुक्त व्यापार समझौते (FTA) पर बातचीत में प्रगति हो रही है। हालांकि इस्पात, वाहन और गैर-शुल्क बाधाओं जैसे कुछ क्षेत्रों में मतभेदों को अभी दूर करने की जरूरत है। भारत और 27 देशों के समूह यूरोपीय संघ (EU) के वरिष्ठ अधिकारियों ने पिछले सप्ताह ब्रसेल्स में व्यापार समझौते के लिए 14वें दौर की वार्ता पूरी की। व्यापार वार्ता जल्द पूरा करने के लिए वस्तुओं एवं सेवाओं से संबंधित विभिन्न मुद्दों पर मतभेद दूर करने के लिए छह अक्टूबर को पांच दिवसीय वार्ता शुरू हुई थी। इस समझौते के अंजाम पर पहुंचने की स्थिति में सिले-सिलाये कपड़े, दवाइयां, इस्पात, पेट्रोलियम उत्पाद और बिजली मशीनरी का यूरोपीय संघ को निर्यात अधिक प्रतिस्पर्धी हो सकते हैं।

क्या चाहता है यूरोपीय संघ : यूरोपीय संघ वाहन और चिकित्सा उपकरणों में महत्वपूर्ण शुल्क कटौती की मांग के अलावा शराब, स्पिरिट, मांस, पोल्ट्री जैसे अन्य उत्पादों पर कर में कमी और एक मजबूत बौद्धिक संपदा व्यवस्था चाहता है।

द्विपक्षीय वस्तु व्यापार : यूरोपीय संघ के साथ भारत का द्विपक्षीय वस्तु व्यापार वित्त वर्ष 2024-25 में 136.53 अरब डॉलर (75.85 अरब डॉलर का निर्यात और 60.68 अरब डॉलर का आयात) था। यूरोपीय संघ का बाजार भारत के कुल निर्यात का लगभग 17 प्रतिशत है और यूरोपीय संघ का भारत को निर्यात उसके कुल विदेशी निर्यात का नौ प्रतिशत है।

क्या है स्थिति : एक अधिकारी ने कहा, व्यापार समझौते पर बातचीत अच्छी तरह से आगे बढ़ रही है। इस्पात और वाहन जैसे कुछ मुद्दों को हल करना जरूरी है। कृषि क्षेत्र में कोई बड़ा मुद्दा लंबित नहीं है। बातचीत को गति देने के लिए 14वें दौर की वार्ता के अंतिम दिनों में वाणिज्य सचिव राजेश अग्रवाल भी भारतीय वार्ताकारों के साथ शामिल हुए। अग्रवाल ने इस यात्रा के दौरान यूरोपीय आयोग की व्यापार महानिदेशक सेबाइन वेयांड के साथ चर्चा की। अधिकारी ने यह भी कहा कि वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल के व्यापार वार्ता के लिए न्यूजीलैंड जाने की उम्मीद है। भारत-न्यूज़ीलैंड मुक्त व्यापार समझौते (FTA) के लिए तीसरे दौर की वार्ता 19 सितंबर को न्यूजीलैंड के क्वीन्सटाउन में संपन्न हुई। भारत और यूरोपीय संघ ने आठ वर्षों से अधिक समय बाद जून, 2022 में व्यापक एफटीए, निवेश संरक्षण समझौते और भौगोलिक संकेतकों पर एक समझौते के लिए बातचीत फिर से शुरू की। इससे पहले बाजारों को खोलने के स्तर पर मतभेदों के कारण 2013 में यह वार्ता रुक गई थी।

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