मुंबई : म्यूचुअल फंड कंपनियों के ट्रस्टी से बाजार नियामक सेबी के चेयरमैन तुहिन कांत पांडेय ने निवेशकों के हितों की रक्षा के लिए ऐसी सशक्त ‘त्वरित चेतावनी प्रणाली’ विकसित करने को कहा, जो अनियमितताओं का शीघ्र पता लगाकर समय पर हस्तक्षेप सुनिश्चित कर सके। यहां ‘लीडरशिप डायलॉग फॉर ट्रस्टीज ऑफ म्यूचुअल फंड्स’ कार्यक्रम को संबोधित करते हुए पांडेय ने कहा कि ट्रस्टी म्यूचुअल फंड प्रणाली की पारदर्शिता एवं विश्वसनीयता बनाए रखने की पहली पंक्ति हैं। ऐसे में ट्रस्टी को सेबी की पहल के निष्क्रिय प्राप्तकर्ता बने रहने के बजाय सक्रिय रूप से निवेशकों की सुरक्षा में भागीदारी करनी चाहिए।
दखल देने का अधिकार : भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) के प्रमुख ने कहा, ‘जब जरूरत हो, ट्रस्टी के पास सवाल उठाने, मामले को आगे बढ़ाने और जरूरी होने पर दखल देने का अधिकार है। यह अधिकार उनके ऊपर निवेशकों के हितों की रक्षा के लिए निडर और निर्णायक कदम उठाने का नैतिक दायित्व भी डालता है।’
ट्रस्टी को निवेशकों के भरोसे की रीढ़ : सेबी प्रमुख ने ट्रस्टी को निवेशकों के भरोसे की रीढ़ बताते हुए कहा कि उनकी भूमिका औपचारिक न होकर नैतिक एवं संस्थागत है, जो सतत निगरानी और जवाबदेही की मांग करती है। ट्रस्टी को डेरिवेटिव, ईएसजी निवेश, वैकल्पिक परिसंपत्तियों और जोखिम विश्लेषण जैसे नए क्षेत्रों की समझ बढ़ानी होगी और इसके लिए निरंतर प्रशिक्षण जरूरी है।
ट्रस्टी की भूमिका : उन्होंने कहा कि म्यूचुअल फंड उद्योग के नए क्षेत्रों—जैसे पैसिव फंड, अंतरराष्ट्रीय निवेश, टोकनाइज्ड एसेट्स और एआई-आधारित पोर्टफोलियो प्रबंधन में विस्तार के साथ ट्रस्टी की भूमिका अधिक रणनीतिक होती जा रही है।
एयूएम पिछले एक दशक में छह गुना बढ़ा : म्यूचुअल फंड उद्योग की प्रबंधन-अधीन परिसंपत्तियां (एयूएम) पिछले एक दशक में छह गुना बढ़कर सितंबर, 2025 तक 75.6 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गईं। इस दौरान एमएफ निवेशकों की संख्या भी एक करोड़ से बढ़कर 5.6 करोड़ से अधिक हो गई है।