नयी दिल्ली : वैश्विक चुनौतियों के बावजूद देश का वस्तु निर्यात सितंबर में 6.74 प्रतिशत बढ़कर 36.38 अरब डॉलर रहा, जबकि आयात 16.6 प्रतिशत बढ़ा। इससे व्यापार घाटा बढ़कर 32.15 अरब डॉलर पर पहुंच गया जो एक साल का सबसे ऊंचा स्तर है। आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, सोना, उर्वरक और चांदी के आयात में वृद्धि से देश का आयात सितंबर में बढ़कर 68.53 अरब डॉलर हो गया, जबकि पिछले साल इसी महीने में यह 58.74 अरब डॉलर था। चालू वित्त वर्ष में अप्रैल-सितंबर में निर्यात 3.02 प्रतिशत बढ़कर 220.12 अरब डॉलर रहा, जबकि आयात 4.53 प्रतिशत बढ़कर 375.11 अरब डॉलर हो गया। इस दौरान कुल व्यापार घाटा बढ़कर 154.99 अरब डॉलर हो गया। इस अवधि के दौरान जिन निर्यात क्षेत्रों में अच्छी वृद्धि दर्ज की गई, उनमें इंजीनियरिंग, इलेक्ट्रॉनिक सामान, औषधि, रसायन, रत्न एवं आभूषण और चावल शामिल हैं। हालांकि, पेट्रोलियम उत्पादों का निर्यात चालू वित्त वर्ष में अप्रैल-सितंबर घटकर 30.63 अरब अमेरिकी डॉलर रहा जो एक साल पहले इसी अवधि में 35.65 अरब डॉलर था।
क्या रही स्थिति : वाणिज्य सचिव राजेश अग्रवाल ने कहा कि वैश्विक अनिश्चितताओं के बावजूद भारत का माल एवं सेवा निर्यात अच्छा प्रदर्शन कर रहा है। निर्यात में वृद्धि के कारण के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि घरेलू उद्योग मजबूत रहा है। वे अपनी आपूर्ति श्रृंखला और व्यापारिक संबंध बनाए हुए हैं। अमेरिका द्वारा भारतीय वस्तुओं पर लगाए गए 50 प्रतिशत शुल्क के प्रभाव के बारे में उन्होंने कहा कि मंत्रालय अलग-अलग सामान के हिसाब से आंकड़ों का विश्लेषण कर रहा है। अब भी अमेरिका को होने वाला भारत का 45 प्रतिशत निर्यात उच्च शुल्क के दायरे से बाहर है।
सोने का आयात : आलोच्य महीने में सोने का आयात बढ़कर 9.6 अरब डॉलर हो गया जो बीते वर्ष सितंबर में 5.14 अरब डॉलर था। हालांकि, इस वित्त वर्ष की पहली छमाही के दौरान यह घटकर 26.51 अरब डॉलर रहा जो एक साल पहले इसी अवधि में 29.04 अरब डॉलर था।
निर्यात में निरंतर वृद्धि : निर्यातकों के शीर्ष निकाय फियो (फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट ऑर्गनाइजेशन) ने कहा कि सितंबर में निर्यात में निरंतर वृद्धि चुनौतीपूर्ण वैश्विक परिदृश्य में भारतीय निर्यातकों की मजबूती और प्रतिस्पर्धी क्षमता को बताता है। फियो अध्यक्ष एस सी रल्हन ने बयान में कहा कि कठिन वैश्विक चुनौतियों के बावजूद निर्यात में निरंतर वृद्धि, भारतीय निर्यातकों के सराहनीय प्रयासों और विश्व मंच पर उनकी बढ़ती प्रतिस्पर्धी क्षमता को बताता है। साथ ही, आयात में वृद्धि इलेक्ट्रॉनिक्स, मशीनरी और मध्यवर्ती वस्तुओं जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में घरेलू विनिर्माण क्षमताओं नए सिरे से ध्यान केंद्रित करने की जरूरत को दर्शाता है।