नई दिल्ली: रियल एस्टेट कंपनियों के शीर्ष निकाय क्रेडाई ने शुक्रवार को आगामी बजट में सरकार से किफायती आवास परियोजनाओं के लिए डेवलपरों को कर प्रोत्साहन देने की मांग की ताकि किफायती घरों की बढ़ती मांग को पूरा किया जा सके। देशभर के 15,000 से अधिक डेवलपरों का प्रतिनिधित्व करने वाली संस्था क्रेडाई ने किफायती आवास के लिए 45 लाख रुपये की मूल्य सीमा को भी बढ़ाने की मांग की है।
अध्यक्ष शेखर पटेल ने संवाददाता सम्मलेन मन अपनी बात कही
क्रेडाई के राष्ट्रीय अध्यक्ष शेखर पटेल ने यहां संवाददाताओं से कहा, “हम लंबे समय से किफायती आवास की परिभाषा में बदलाव की मांग कर रहे हैं। वर्ष 2017 में इसके लिए 45 लाख रुपये की सीमा तय की गई थी लेकिन तब से निर्माण लागत काफी बढ़ गई है।” उन्होंने कहा कि किफायती आवास की परिभाषा में 45 लाख रुपये की मूल्य सीमा या तो हटा देनी चाहिए या फिर इसे बढ़ाकर 90 लाख रुपये किया जाना चाहिए।
किफायती घरों के लिए बजट में हो प्रावधान
उन्होंने उम्मीद जताई कि वित्त वर्ष 2025-26 के लिए एक फरवरी को पेश होने वाले बजट में किफायती घरों की आपूर्ति बढ़ाने के लिए कुछ सकारात्मक घोषणाएं होंगी। पिछले कुछ वर्षों में किफायती घरों की आपूर्ति घटी है जबकि डेवलपरों का ध्यान मुख्य रूप से प्रीमियम एवं लक्जरी आवासीय परियोजना पर केंद्रित रहा है। इस वजह से मध्यम वर्ग के लिए घर का सपना पूरा होना काफी मुश्किल होता जा रहा है।
GST 18% से घटाकर 12% किया जाय
क्रेडाई के राष्ट्रीय सचिव गौरव गुप्ता ने कहा कि किफायती आवास की मूल्य सीमा बढ़ाने से उपभोक्ताओं को फायदा होगा, क्योंकि किफायती आवास पर माल एवं सेवा कर (जीएसटी) केवल एक प्रतिशत है। उन्होंने कहा कि किफायती आवास की आपूर्ति बढ़ाने के लिए निर्माण अनुबंधों पर डेवलपरों द्वारा दिए जाने वाले जीएसटी को भी 18 प्रतिशत से घटाकर 12 प्रतिशत किया जाना चाहिए। ऐसा होने से किफायती श्रेणी के घरों की कीमतों में कमी आएगी।