नयी दिल्लीःभारतीय कंपनियों के लिए जनरेटिव एआई महज चर्चा का विषय न होकर तेजी से एक महत्वपूर्ण व्यावसायिक अनिवार्यता हो गई है। अधिकांश कारोबारी दिग्गज कृत्रिम मेधा (एआई) को प्राथमिकता दे रहे हैं। पेशेवर नेटवर्किंग मंच लिंक्डइन की रिपोर्ट कहती है कि प्रौद्योगिकी की पूरी क्षमता के इस्तेमाल के लिए सटीक एआई और संबंधित कौशल वाले पेशेवरों को ढूंढना इन कंपनियों के लिए एक महत्वपूर्ण चुनौती बना हुआ है।
क्या है स्थितिः भारत में लगभग 54 प्रतिशत मानव संसाधन (एचआर) पेशेवरों ने नौकरी के लिए आने वाले आवेदनों में से केवल आधे या उससे भी कम आवेदकों के पास सभी जरूरी एवं पसंदीदा योग्यताएं होने की बात कही है। एचआर पेशेवरों के लिए सही तकनीकी कौशल (61 प्रतिशत) और लोगों से जुड़ने का कौशल यानी सॉफ्ट स्किल (57 प्रतिशत) वाले उम्मीदवारों को ढूंढना सबसे बड़ी चुनौती है।
मुश्किल से मिलने वाले कौशलः भारत में सबसे मुश्किल से मिलने वाले कौशल में तकनीकी/ आईटी कौशल जैसे सॉफ्टवेयर विकास, इंजीनियरिंग (44 प्रतिशत), एआई कौशल (34 प्रतिशत) और संचार एवं समस्या-समाधान (33 प्रतिशत) जैसे कौशल शामिल हैं।’’ रिपोर्ट के अनुसार, कंपनियां वर्ष 2025 में ‘चयनात्मक भर्ती’ का तरीका अपना रही हैं। चयनात्मक भर्ती संगठन की जरूरतों के लिहाज से उपयुक्त गुणों वाले सही लोगों की नियुक्ति और चयन की प्रक्रिया है। रिपोर्ट कहती है कि भारत में आधे से अधिक एचआर पेशेवर केवल उन उम्मीदवारों तक पहुंचने (55 प्रतिशत) और भर्ती (54 प्रतिशत) पर विचार करेंगे जो नौकरी के लिए निर्धारित योग्यता के 80 प्रतिशत या उससे अधिक मानदंडों को पूरा करते हैं।
असली चुनौतीः लिंक्डइन में प्रतिभा एवं लर्निंग सॉल्यूशंस की भारत प्रमुख रुचि आनंद ने भर्ती के लिए कौशल को प्राथमिकता देने पर बल देते हुए कहा, ‘‘एआई प्रतिभाओं को नियुक्त करने और विकसित करने के हमारे तरीके को बदल रहा है, लेकिन असली चुनौती एआई को कारोबार के लिए काम करने लायक बनाने की है। अक्सर कंपनियां सही प्रतिभा के बगैर एआई टूल में संसाधन लगा देती हैं जिससे वे पासा पलटने वाले अवसर का फायदा नहीं उठा पाती हैं। इस चक्र से निकलने के लिए कंपनियों को कौशल को प्राथमिकता देने की मानसिकता के साथ काम पर रखने की जरूरत है। एआई से नवाचार किया जा सकेगा लेकिन रचनात्मकता, संचार और सहयोग जैसे मानवीय कौशल ही कंपनियों को वास्तव में बदलाव से आगे रहने में मदद करेंगे।