मुंबई : भारतीय रिजर्व बैंक ने शुक्रवार को बैंकों के मृत ग्राहकों के खातों और लॉकर से संबंधित दावों का 15 दिनों के भीतर निपटान करने के लिए संशोधित मानदंड जारी किए। निपटान में देरी होने पर नॉमिनी यानी नामित व्यक्तियों को मुआवजा देने का प्रावधान किया गया है। संशोधित निर्देशों का उद्देश्य मृत ग्राहकों से संबंधित दावों के निपटान में बैंकों की गतिविधियों को सरल बनाना है। इसमें ग्राहक सेवा की गुणवत्ता में सुधार लाने के लिए दस्तावेजीकरण को भी मानकीकृत किया गया है।
कब से होगा लागू : केंद्रीय बैंकों ने कहा, भारतीय रिजर्व बैंक (बैंकों के मृत ग्राहकों के संबंध में दावों का निपटान) निर्देश, 2025' के संशोधित निर्देशों को यथासंभव शीघ्रता से लागू किया जाएगा। इसे 31 मार्च, 2026 तक लागू करना होगा। ये निर्देश मृत ग्राहक के जमा खातों, सुरक्षित जमा लॉकर और मृत ग्राहक के सुरक्षित अभिरक्षा में रखी गई वस्तुओं के दावों के निपटान से संबंधित हैं।
नामितों को बकाया राशि का भुगतान : आरबीआई ने कहा कि ऐसे जमा खाते, जहां जमाकर्ता ने किसी को नामित किया हो, वहां जमाकर्ता की मृत्यु पर नामितों को बकाया राशि का भुगतान बैंक की देयता से वैध ‘डिस्चार्ज’ माना जाएगा।
जिन खातों में किसी को नामित न किया गया हो : जिन खातों में किसी को नामित न किया गया हो, वहां बैंकों को दावों के निपटान के लिए एक सरल प्रक्रिया अपनाने के लिए कहा गया है, जहां कुल देय राशि तय सीमा से कम है। यह सीमा सहकारी बैंकों के मामले में पांच लाख रुपये और अन्य बैंकों के मामले में 15 लाख रुपये है।
बैंक अपने स्तर पर उच्च सीमा निर्धारित कर सकते हैं : बैंक अपने स्तर पर उच्च सीमा निर्धारित कर सकते हैं। आरबीआई ने कहा कि इससे अधिक राशि होने पर बैंक उत्तराधिकार प्रमाण पत्र या कानूनी उत्तराधिकारी प्रमाण पत्र जैसे अतिरिक्त दस्तावेज मांग सकता है।