नयी दिल्ली : घर या रेस्तरां में तलने के बाद अक्सर खाना पकाने के तेल को फेंक दिया जाता है। अब इसका उपयोग विमान ईंधन बनाने में किया जाएगा। सरकारी कंपनी इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन (आईओसी) की एक रिफाइनरी को अब उसी तेल से सस्टेनेबल एविएशन फ्यूल बनाने का सर्टिफिकेशन मिल गया है। यह एक ऑप्शनल फ्यूल है जो एयर ट्रांसपोर्ट से होने वाले पॉल्यूशन को कम करता है। इसे पारंपरिक एविएशन टर्बाइन फ्यूल (एटीएफ या जेट ईंधन) में 50 प्रतिशत तक मिलाया जा सकता है। भारत ने 2027 से इंटरनेशनल एयरलाइन कंपनियों को बेचे जाने वाले जेट फ्यूल में एक प्रतिशत एसएएफ मिश्रण अनिवार्य किया है।
कहां पर होगा निर्माण : आईओसी के चेयरमैन अरविंदर सिंह साहनी ने बताया कि हरियाणा के पानीपत स्थित आईओसी की रिफाइनरी ने इस्तेमाल किए गए खाने के तेल से एसएएफ बनाने के लिए इंटरनेशनल सिविल एविएशन ऑर्गनाइजेशन (आईसीएओ) का आईएससीसी कॉर्सिया सर्टिफिकेशन (अंतरराष्ट्रीय स्थिरता और कार्बन सर्टिफिकेशन – आईएससीसी – जिसे अंतरराष्ट्रीय विमानन के लिए कार्बन कम करने की योजना (कोर्सिया) के तहत विकसित किया गया है) हासिल कर लिया है। इंडियन ऑयल यह सर्टिफिकेशन हासिल करने वाली देश की पहली कंपनी है।
कब शुरू होगा उत्पादन : चालू कैलेंडर वर्ष के अंत से यह रिफाइनरी सालाना लगभग 35,000 टन एसएएफ का उत्पादन शुरू कर देगी। यह उत्पादन 2027 में देश के लिए अनिवार्य एक प्रतिशत मिश्रण की आवश्यकता को पूरा करने के लिए पर्याप्त होगा।
कहां से होगा संग्रह : बड़े उपयोगकर्ता मसलन होटल चेन, रेस्तरां और स्नैक्स और मिठाई बनाने वाली कंपनियों से एजेंसियां इस्तेमाल किया हुआ खाना पकाने का तेल एकत्र करेंगी और इसकी सप्लाई पानीपत रिफाइनरी को करेंगी। पानीपत रिफाइनरी में इस तेल का उपयोग एसएएफ बनाने के लिए किया जाएगा। बड़े होटल और रेस्तरां चेन आमतौर पर एक बार इस्तेमाल के बाद खाना पकाने के तेल को फेंक देती हैं। वर्तमान में यह इस्तेमाल किया हुआ खाना पकाने का तेल एजेंसियों द्वारा जमा किया जाता है और निर्यात किया जाता है। देश में इस तरह का तेल बड़ी मात्रा में उपलब्ध है। एकमात्र चुनौती इसे संग्रह करने की है।