बिहार

वोट चोरी अभियान को जनता ने नकारा, कांग्रेस-RJD का पासा उल्टा

महिला मतदाताओं ने भर दी NDA की झोली

पटना : बिहार की जनता ने 2025 में जो फैसला सुनाया उसकी उम्मीद शायद स्वयं NDA गठबंधन को भी नहीं होगी। इस बार के नतीजों ने बिहार के मतदाताओं की सोच की एक नयी तस्वीर प्रस्तुत की है। जातिवाद की राजनीति के लिए मशहूर बिहार ने जाति धर्म को नकार दिया। राजनीति की स्थापित धारणाएं जैसे की साठ फीसदी से ज्यादा मतदान सत्ताधारी पार्टी के खिलाफ होता है ये भी गलत ,साबित हुई।

दोनों चरणों में कुल मिला कर 66.90 फीसदी मतदान बिहार की जनता ने किया वो भी शांति पूर्ण तरीके से वोटिंग हुई। कहीं से भी चुनाव आयोग को शिकायत नहीं मिली कहीं हिंसा नहीं हुई। ये नतीजे बताते हैं कि बिहार की जनता की राजनीतिक समझ परिपक्व है। NDA गठबंधन ने अभूतपूर्व जीत तो महागठबंधन ने अभूतपूर्व हार हासिल की है। महागठबंधन के बिहार के सेनापति तेजस्वी यादव अपनी सीट भी नहीं बचा पाये। उनके सारे पैंतरे सारे आरोप धराशायी हो गये जनता ने उन पर भरोसा ही नहीं किया।

बिहार की जनता ने किया एक तरफा मतदान, टूटे सभी रिकॉर्ड

चुनाव पूर्व सर्वे चुनाव के बाद के एक्जिट पोल ये तो बता रहे थे कि बिहार में NDA की सरकार बनेगी। ज्यादातर एक्जिट पोल सही साबित हुए लेकिन इस बार तो एक्जिट पोल भी उतना अनुमान नहीं लगा पाये जितनी सीटें बिहार की जनता ने NDA की झोली में डाल दी। NDA के सभी घटक दलों ने बेहतरीन प्रदर्शन किया BJP, जनता दल यूनाइटेड और LJP तीनों प्रमुख घटकों ने बेहतरीन प्रदर्शन किया।

BJP और JDU को डबल इंजन सरकार का फायदा मिला। नीतीश कुमार का शासन और केंद्र की जन कल्याणकारी योजनाओं ने बिहार की तस्वीर बदली। बिहार की जनता के मन में विश्वास पैदा किया। विपक्ष के सारे नैरेटिव सारे सरकार विरोधी प्रचार ध्वस्त हो गये। नीतीश कुमार के स्वास्थ्य को लेकर फैलाई गयी बातें, वोट चोरी के आरोप वोट अधिकार यात्राएं , मुस्लिम विरोधी छवि पेश करना कोई भी मुद्दा चल ही नहीं पाया।

10वीं बार मुख्यमंत्री बनेंगे नीतीश

नीतीश कुमार 10वीं बार बिहार के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ लेंगे। BJP नेताओं ने ये बार बार दोहराया था कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ही रहेंगे। हालांकि नीतीश कुमार का बार बार पाला बदलने का इतिहास रहा है लेकिन फिर भी जनता ने उन पर भरोसा किया। RJD से नाता तोड़ कर 3 वर्ष पहले NDA का दामन थाम लेना उनके और BJP दोनों के लिए फायदे का सौदा रहा। केंद्र और राज्य दोनों जगह उनकी पौ बारह।

जन कल्याण के लिए उनकी सरकार ने जो दीर्घ कालीन योजनाएं चलायीं उसका भी फायदा मिला। जाति की सोशल इंजिनियरिंग के नीतिश मास्टर माने जाते हैं इसका फायदा BJP को मिला। एक जो सबसे बड़ा बदलाव बिहार में देखने को मिला वो है RJD के MY (मुस्लिम यादव) समीकरण को NDA के MY (महिला युवा ) समीकरण ने पटखनी दे दी। महिलाओं ने 2020 की तरह बंपर वोट डाला। इस बार 5 साल पहले का रिकॉर्ड भी तोड़ दिया। कन्या, युवती ,गृहिणी, वृद्धा सबको लाभ और अंत में 10 हजार रुपये प्रति महिला देने का वादा तो मास्टर स्ट्रोक रहा।

मातृ शक्ति ने भी NDA को झोली भर भर कर वोट दिये

मोदी-नीतीश की जोड़ी का जादू चला और खूब चला। नीतीश कुमार के लिए कुछ लोग इसे वाटरलू बता रहे थे। उनके दावे गलत साबित हुए। नीतीश कुमार की तुलना अब पश्चिम बंगाल के भूतपूर्व मुख्यमंत्री ज्योति बसु और ओडिशा के नवीन पटनायक से की जा रही है। जिन्होंने दो दशक से ज्यादा मुख्यमंत्री रह कर रिकॉर्ड बनाया। एक नये युग की शुरुआत बिहार की राजनीति में जनता के अपार भरोसे की कसौटी पर खरा उतरना NDA सरकार के लिए बड़ी चुनौती होगी।

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