पटना : रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कांग्रेस नीत विपक्ष पर सशस्त्र बलों द्वारा प्रदर्शित वीरता की सराहना करने के बजाय ‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर सवाल उठाने का शनिवार को आरोप लगाया।
भाजपा के पूर्व अध्यक्ष ने यह भी आरोप लगाया कि सत्ता में रहने के दौरान कांग्रेस उग्रवाद के प्रति ‘नरम’ रही और उसने ‘वोट बैंक’ की खातिर ‘भगवा आतंकवाद’ का सिद्धांत गढ़कर निर्दोष लोगों को फंसाने की कोशिश की।
सिंह ने दावा किया, हाल में, हमने संसद के दोनों सदनों में ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा की। दोनों ही बहस 16-16 घंटे तक चलीं। विपक्ष, जिसने आक्रामक रुख अपनाया था, हक्का-बक्का रह गया।
उन्होंने कहा कि यह ‘खेदजनक’ है कि विपक्ष ‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर सवाल उठा रहा है, जिसमें देश के बहादुर सशस्त्र बलों ने कई आतंकवादी ठिकानों को नष्ट किया। उन्होंने कहा कि इस मौके पर देश के सशस्त्र बलों को श्रद्धांजलि अर्पित करना आवश्यक है।
सिंह ने कहा, अतीत में भी यही परंपरा रही है। वर्ष 1971 के युद्ध के दौरान (जब इंदिरा गांधी प्रधानमंत्री थीं), हमारे नेता अटल बिहारी वाजपेयी ने तत्कालीन सरकार का पूरे दिल से समर्थन किया था।
उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि 1999 में जब कारगिल की घटना हुई थी और वाजपेयी प्रधानमंत्री थे, राजनीतिक और सामाजिक एकता ’प्रदर्शित हुई थी। उन्होंने कहा, आतंकवाद को हमेशा के लिए जड़ से उखाड़ फेंकने के लिए ऐसी एकता आवश्यक है।
रक्षा मंत्री ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व और पिछली कांग्रेस सरकारों के ‘नरम’ रुख के बीच के अंतर को भी रेखांकित किया, जो ‘वोट बैंक’ और ‘तुष्टीकरण की राजनीति’ की चिंताओं से दबी हुई थी।
सिंह ने 2013 में गांधी मैदान में हुए सिलसिलेवार विस्फोटों का जिक्र करते हुए कहा, लोग आज भी 2014 से पहले के दौर को याद करके सिहर उठते हैं, जब आतंकवादी हमले आम बात हो गए थे। इसी शहर में सिलसिलेवार बम विस्फोट हुए थे।
भाजपा के वरिष्ठ नेता ने कहा, दूसरी तरफ, जैसा कि हमने मालेगांव विस्फोट मामले में देखा, भगवा आतंकवाद के नाम पर निर्दोष लोगों को फंसाया गया। फैसला सुनाने वाले न्यायाधीश ने टिप्पणी की कि आतंक का कोई धर्म नहीं होता। हम भी यही कहते आए हैं। इस मामले में भाजपा की पूर्व सांसद प्रज्ञा ठाकुर समेत सभी आरोपियों को हाल में बरी कर दिया गया।
सिंह ने कहा, वोट बैंक की राजनीति आतंकवाद के खिलाफ देश की लड़ाई को कमजोर करती है। पिछले 11 वर्षों में, इस खतरे के खिलाफ हमारा संकल्प और मजबूत हुआ है। हमारे सशस्त्र बलों का मनोबल आसमान छू रहा है। जो कुछ भी इस उत्साह को कम करता है, वह न तो राष्ट्रहित में है और न ही जनहित में।