पटना : बिहार सरकार ने बुधवार को स्पष्ट किया कि जम्मू-कश्मीर में ड्यूटी के दौरान मारे गए सीवान निवासी राम बाबू सिंह बीएसएफ में नहीं बल्कि सेना के जवान थे और उनकी मृत्यु को ‘संघर्ष में शहीद' नहीं माना जाएगा।
इससे पहले मुख्यमंत्री कार्यालय ने सिंह को ‘बीएसएफ का जवान’ बताया था और उनके परिवार को 50 लाख रुपये अनुग्रह राशि देने की घोषणा की थी। गंभीर रूप से घायल सिंह की पिछले सप्ताह मौत हो गई थी और उन्हें ‘शहीद’ बताया गया था।
एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम गोपनीय रखने की शर्त पर बताया, हमें कल रात सेना से एक पत्र मिला जिसमें बताया गया कि राम बाबू सिंह सेना में थे। साथ ही, उनकी मौत को ‘संघर्ष में शहीद' नहीं कहा जा सकता क्योंकि वह सड़क दुर्घटना में मारे गए थे।
सिंह का पार्थिव शरीर बुधवार सुबह पटना हवाई अड्डे पर लाया गया, जहां उन्हें पुष्पांजलि अर्पित की गई। हालांकि उन्हें ‘गार्ड ऑफ ऑनर’ नहीं दिया गया जो आमतौर पर ‘शहीदों’ को दिया जाता है। विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव हवाई अड्डे पर मौजूद थे।
पूर्व उपमुख्यमंत्री ने कहा, कल मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा था कि राम बाबू सिंह बीएसएफ के जवान थे। अब पता चला है कि वह सेना में थे। मुख्यमंत्री के स्तर पर इस तरह का भ्रम खेदजनक है। उम्मीद है कि मुख्यमंत्री सिंह के परिवार को 50 लाख रुपये की अनुग्रह राशि देने का अपना वादा पूरा करेंगे। सिंह युवा थे और कुछ महीने पहले ही उनकी शादी हुई थी।