पटना - बिहार में भूमी सर्वेक्षण का काम काफी जोर-शोर से चल रहा है। ऐसा कहा जा रहा है कि 2025 के अंत तक सर्वे का काम पूरा हो जाएगा। इसके बाद जमीन की प्रकृति का नए सिरे से निर्धारण किया जाएगा। इसके साथ ही पुश्तैनी और रैयती जमीन को लेकर भी बिहार सरकार नए सिरे से काम करेगी और फैसला लेगी। बिहार सरकार जमीन की किस्म भी तय करेगी। इससे यह पता चलेगा कि कौन सी जमीन धनहर है, आवासीय है, भीठ है ( आवासीय के बगल की जमीन ) अथ्वा व्यावसायिक है। सर्वे पूरा हो जाने के बाद बिहार सरकार नए सिरे से जमीन का लगान भी तय करेगी।
जमीन विवादों के समाधान में सर्वे करेगी मदद
जिला बंदोबस्त पदाधिकारी सुजीत कुमार ने बताया कि भूमी सर्वेक्षण का उद्देश्य जमीन की सही पहचान करना है। इसकी मदद से जमीन की प्रकृति और उपयोग को लेकर नए फैसले लिए जाऐंगे। इस सर्वे के बाद जमीन को गैर-मजरुआ आम, गैर-मजरुआ खास, पुश्तैनी या रैयती के रूप में वर्गीकृत किया जाएगा।
इतने प्रकार की होती है जमीन
गैर मजरूआ आम- यह सरकारी जमीन होती है। इस जमीन का नियंत्रण पंचायत के पास होता है। इस प्रकार की जमीन को लीज पर देना का प्रवधान नहीं होता है।
गैर मजरूआ खास- यह भी सरकारी जमीन होती है। इस जमीन का नियंत्रण सीधे राज्य सरकार के पास होती है। इसको भी लीज पर देने का प्रावधान नहीं होता है।
खास महल की जमीन- यह भी सरकारी जमीन होती है पर इसे लीज पर दिया जा सकता है।
केसरे हिंद- यह भी सरकारी जमीन होती है। यह जमीन केंद्र सरकार के अधीन आने वाली भूमि होती है।
पुश्तैनी, निजी और रैयती भूमि- यह किसी की खानदानी जमीन होती है। केवल ऐसी ही जमीन की आसानी से बिक्री हो सकती है।
यह भी पढ़ें - संवैधानिक पदों की मर्यादा बनाये रखें : राज्यपाल