दुर्गापुर : शिक्षक और विद्यार्थी का रिश्ता महज एक औपचारिक संबंध नहीं होता, यह एक परिवार की तरह होता है। वहीं जब परिवार के किसी सदस्य को अचानक अलग कर दिया जाए तो दर्द असहनीय हो जाता है। दुर्गापुर नेपाली पाड़ा हिंदी हाई स्कूल में शुक्रवार को कुछ ऐसा ही नजर देखने को मिला जहां शिक्षकों समेत विद्यार्थियों को भी रोते हुए देखा गया। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद स्कूल के 8 शिक्षकों की नौकरी समाप्त हो गई है। इस फैसले से पूरा स्कूल गमगीन हो गया है। इस दौरान छात्र-छात्राएं और शिक्षक, शिक्षिकाएं एक-दूसरे को देखकर रो रहे हैं, जैसे उन्होंने कोई अपना खो दिया हो।
शिक्षकों की व्यथा, वर्षों की मेहनत पर पानी फिर गया
उस स्कूल से निकाले गए शिक्षकों में एक पुरुष शिक्षक और सात महिला शिक्षिकाएं शामिल हैं। इन शिक्षकों ने वर्षों तक इस स्कूल में न केवल पढ़ाया, बल्कि विद्यार्थियों के भविष्य को संवारने का काम भी किया। इनमें से कुछ शिक्षक वर्षों से अपनी सेवा दे रहे थे। अब अचानक नौकरी जाने से उनकी पूरी जिंदगी असमंजस में पड़ गई है। एक शिक्षिका ने रोते हुए कहा कि उन्होंने इस स्कूल को अपनी जिंदगी के सबसे बेहतरीन साल दिए। यहां के बच्चों को उन्होंने सिर्फ किताबें ही नहीं बल्कि जिन्दगी जीने का तरीका भी सिखाया। अब उन्हें कह दिया गया कि उनकी जरूरत नहीं है। उन्होंने सिस्टम से प्रश्न किया कि क्या शिक्षक सिर्फ एक नौकरी कर रहा होता है ? क्या उनके योगदान की कोई कीमत नहीं है ? वही दूसरी शिक्षिका ने आंसू पोंछते हुए कहा कि उसने कभी नहीं सोचा था कि एक दिन उन्हें अचानक बाहर कर दिया जाएगा। उनके लिए यह स्कूल सिर्फ रोजगार का स्थान नहीं था, यह हमारा दूसरा घर था।
छात्र-छात्राओं को अपने शिक्षकों को खोने का गम
शिक्षकों की नौकरी जाने की खबर से स्कूल के छात्र भी गहरे सदमे में हैं। अदालत के आदेश के बाद कई विद्यार्थियों ने जब अपने प्रिय शिक्षकों को स्कूल छोड़ते देखा तो खुद को रोक नहीं सके और फूट-फूट कर रोने लगे। एक छात्र ने कहा कि हमारे लिए ये शिक्षक सिर्फ पढ़ाने वाले नहीं थे, वे हमारे मार्गदर्शक भी थे। विद्यार्थी किसी परेशानी में होते थे तो ये हमें हौसला देते थे। एक अन्य छात्रा ने कहा कि हमारे स्कूल में शिक्षक और छात्रों के बीच अलग ही रिश्ता था। यह फैसला बहुत गलत है। हमने अपने माता-पिता की तरह किसी अपने को खो दिया है।
प्रधानाचार्य को आगे की पढ़ाई की चिंता
दुर्गापुर नेपाली पाड़ा हिंदी हाई स्कूल के प्रधानाचार्य डॉ. कलिमुल हक इस पूरी स्थिति से बेहद चिंतित हैं। उन्होंने कहा कि 8 शिक्षकों के जाने से स्कूल की पढ़ाई पर बहुत बुरा असर पड़ेगा। विशेष रूप से एचएस की पढ़ाई बहुत कठिनाई भरी होगी। अगर यही स्थिति रही तो आगे की पढ़ाई मुश्किल हो जाएगी। किसी भी स्कूल में शिक्षकों का अचानक जाना बच्चों की शिक्षा को प्रभावित करता है। फिलहाल हम 4200 छात्रों की पढ़ाई पर पड़ेगा असर
इस स्कूल में कुल 4200 छात्र-छात्राएं पढ़ते हैं। वहीं स्कूल में महिला पुरुष मिलाकर 33 शिक्षक कार्यरत थे। अब 8 शिक्षकों की छंटनी के बाद शिक्षकों की संख्या और कम हो जाने से पढ़ाई पर सीधा असर पड़ेगा। इस दौरान पूरे स्कूल में अब एक ही आवाज गूंज रही है। हमारे शिक्षकों को वापस लाया जाए। वहीं छात्रों ने प्रशासन और सरकार से अपील करते हुए कहा कि इस मामले में मानवीय दृष्टिकोण अपनाया जाए और योग्य शिक्षकों को पुनः बहाल किया जाए।