आसनसोल

यह शिविर भारतीय भाषाओं के महत्त्व को समझने और उन्हें आत्मसात करने की दिशा में एक सफल प्रयास : प्राचार्य

मिथिलांचल की सांस्कृतिक विरासत एवं मैथिली भाषा पर केंद्रित ग्रीष्मकालीन शिविर का समापन

अंडाल : पीएम श्री केंद्रीय विद्यालय अंडाल में भारतीय भाषा संवर्धन हेतु आयोजित सात दिवसीय ग्रीष्मकालीन शिविर का आज समापन हुआ। यह शिविर विशेष रूप से मिथिलांचल की सांस्कृतिक विरासत एवं मैथिली भाषा पर केंद्रित था। सात दिनों तक चले इस कार्यक्रम में विद्यार्थियों को मिथिला क्षेत्र की संस्कृति, परंपरा, साहित्य, संगीत, लोककला तथा भाषा की समृद्धि से परिचित कराया गया। विद्यालय प्रांगण में आयोजित समापन समारोह की शुरुआत प्रात:कालीन प्रार्थना सभा से हुई जिसमें प्राचार्य अमरेंद्र कुमार झा, अभिभावक, शिक्षकवृंद तथा विद्यार्थी उपस्थित थे। इस दौरान शिक्षिका गीता कुमारी ने शिविर में आयोजित सात दिनों की गतिविधियों का विवरण देते हुए बताया कि सात दिनों तक चलने वाले इस शिविर के दौरान किस प्रकार विद्यार्थियों ने मिथिलांचल की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि, लोक संस्कृति, प्रमुख साहित्यकार (जैसे विद्यापति, नागार्जुन), मैथिली भाषा की लिपि, व्याकरण, दैनिक उपयोग के वाक्य, कहावतें, मिथिला चित्रकला और नृत्य रूपों के बारे में गहराई से सीखा। सातवें दिन की गतिविधि के अंतर्गत सुमन यादव द्वारा मैथिली भाषा एवं मिथिलांचल की जानकारी पर आधारित एक प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता आयोजित की गई। इसमें विद्यार्थियों ने पूरे सप्ताह सीखी गई जानकारियों के आधार पर उत्साहपूर्वक भाग लिया। प्रश्नों में मैथिली साहित्यकारों, प्रमुख त्योहारों, पारंपरिक परिधान, मधुबनी चित्रकला, मिथिलांचल का इतिहास, भूगोल तथा बोलचाल के सामान्य मैथिली शब्दों को शामिल किया गया था। कार्यक्रम की अगली कड़ी में कक्षा 6, 7 तथा 8 के विद्यार्थियों ने मिथिलांचल के लोकगीत का गायन किया। कक्षा आठवीं की छात्राओं ने मिथिलांचल की झिझिया नृत्य की प्रस्तुति दी। विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए प्राचार्य अमरेंद्र ने भारतीय भाषाओं के संरक्षण और संवर्धन पर बल दिया और विद्यार्थियों को अपनी मातृभाषा के प्रति गर्व एवं अनुराग बनाए रखने की प्रेरणा दी। उन्होंने कहा कि इस शिविर ने न केवल भाषा सीखने का अवसर प्रदान किया, बल्कि विद्यार्थियों में सांस्कृतिक गर्व, सृजनात्मकता, तथा सामूहिक सहभागिता की भावना भी जागृत की। शिविर की सराहना करते हुए उन्होंने कहा कि यह शिविर भारतीय भाषाओं के महत्त्व को समझने और उन्हें आत्मसात करने की दिशा में एक सफल प्रयास सिद्ध हुआ। कार्यक्रम के अंत में विद्यालय के प्राचार्य ने सभी प्रतिभागियों को प्रमाण पत्र प्रदान किया।

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