घाटाल में एक नाव पर अंतिम संस्कार के लिए ले जाया जा रहा पार्थिव शरीर 
आसनसोल

कंधों पर नही नाव पर लाद कर अंतिम संस्कार के लिए ले जाया गया वृद्ध का शव

लोगों को शवों को डिग्गियों में लाद कर श्मशान घाट ले जाना पड़ रहा है

मिदनापुर: पश्चिम मिदनापुर जिले के घाटाल का एक बड़ा इलाका हर साल बाढ़ की चपेट में आ जाता है। यह समस्या आज की नहीं है, दशकों से घाटाल के लोग बाढ़ की समस्या से जूझ रहे हैं। बाढ़ के कारण लोगों को कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है। इसी क्रम में एक वृद्व के शव को नाव पर लाद कर अंतिम संस्कार के लिए ले जाना पड़ा।
      अमूमन दिवंगत व्यक्ति के शव को उसके परिवार के लोग कंधे पर लाद कर अंतिम संस्कार के लिए ले जाते हैं लेकिन घाटाल में एक वृद्व गोपाल शासमल के शव को नाव में श्मशान ले जाना पड़ा। वह भी घर से तीन किलोमीटर दूर। घाटाल नगर पालिका के वार्ड नंबर 1 के सुखचंद्रपुर इलाके के निवासी गोपाल शसमल (82) की मौत बीमारी के कारण घर पर ही मृत्यु बाढ़ में डूबा हुआ है। उस समय, शव को एक छोटी नाव में घाटाल नगर पालिका के वार्ड नंबर 2 के अरोगोर इलाके में लाया गया था। आड़गोड़ इलाके में जो श्मशान घाट बना है, वह बाढ़ के कारण बहुत ऊँचा बना है। इसलिए, चारों ओर पानी होने के बावजूद, श्मशान घाट सूखा रहता है। जब आसपास किसी की मृत्यु होती है, तो इसी श्मशान घाट में दाह संस्कार किया जा रहा है। मृतक के बेटे स्वपन शसमल ने कहा, पिताजी को सर्दी-खांसी थी और उनकी अचानक मृत्यु हो गई। वहाँ दाह संस्कार के लिए कोई जगह नहीं है। इसलिए उनके पार्थिव शरीर को नाव पर लाद कर तीन किलोमीटर दूर इस श्मशान घाट में लाए। मालूम हो कि घाटाल का एक बड़ा इलाका हर साल बाढ़ की चपेट में आ जाता है। यह समस्या आज की नहीं है। बाढ़ की समस्या से लोगों को राहत दिलाने के लिए कुछ दशक पहले घाटल मास्टर प्लान शुरू किया गया था लेकिन वह पहल अभी तक लागू नहीं हुई है। वर्तमान में, घाटल मास्टर प्लान को लेकर तृणमूल और भाजपा के बीच खींचतान बढ़ गई है। राज्य सरकार ने यह मुद्दा उठाया है कि केंद्र घाटल मास्टर प्लान के लिए धन उपलब्ध नहीं करा रहा है। इस राजनीतिक खींचतान के बीच, इलाके के लोगों को शवों को डिग्गियों में लाद कर श्मशान घाट ले जाना पड़ रहा है।

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