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SIR - बीमार बुजुर्ग महिला को सुनवाई केंद्र पर लाने को लेकर उठे सवाल

मतदाता सूची सत्यापन के लिए पहुंची बुजुर्ग महिला

दुर्गापुर : मतदान सूची में अपने अस्तित्व को साबित करने हेतु लोगों को सुनवाई के लिए पहुंचना पड़ रहा है। इस बीच एक बीमार बुजुर्ग महिला को सुनवाई केंद्र पर पहुंचने को लेकर सवाल उठ रहे हैं। उन्हें चलना तो दूर, ठीक से खड़ा होना भी मुश्किल था। झुकी हुई कमर और कमजोर शरीर के साथ इस कड़ाके की ठंड में बुजुर्ग महिला (75) को अपने दामाद के कंधे का सहारा लेकर सुनवाई केंद्र तक आना पड़ा है। कसूर सिर्फ इतना कि मतदाता सूची में अपने अस्तित्व को साबित करना है। दुर्गापुर इस्पात नगरी के जयदेव रोड की निवासी यह बुजुर्ग महिला वर्षों से दुर्गापुर पूर्व विधानसभा के 119 नंबर बूथ में मतदान करती आ रही हैं। अचानक उन्हें बताया गया कि 2002 की मतदाता सूची में उनका नाम नहीं है। इसी आधार पर उन्हें सुनवाई के लिए बुला लिया गया था। परिवार ने आरोप लगाया कि यह चुनाव आयोग की घोर लापरवाही और अमानवीय रवैया है। उनके दामाद अरुण चट्टराज ने कहा कि उनकी सास ठीक से चल भी नहीं सकतीं है। इसी इलाके में वर्षों से वोट दे रही हैं। अचानक कहा गया कि 2002 की सूची में उनका नाम नहीं है। इसलिए सुनवाई में आना होगा। मजबूरी में दामाद के सहारे उन्हें यहां लाना पड़ा। इस परेशानी के लिए पूरी तरह चुनाव आयोग जिम्मेदार है। मामले पर प्रतिक्रिया देते हुए मंत्री प्रदीप मजूमदार ने चुनाव आयोग पर कटाक्ष करते हुए कहा कि शारीरिक रूप से अक्षम लोगों को भी सुनवाई के लिए बुलाया जा रहा है। उनका आरोप है कि मतदाताओं के नाम काटने की साजिश की जा रही है। वहीं भाजपा के तीन नंबर मंडल अध्यक्ष बुद्धदेव मंडल ने कहा कि चुनाव आयोग पहले ही स्पष्ट कर चुका है कि शारीरिक रूप से अक्षम मतदाताओं की सुनवाई उनके घर जाकर की जाएगी। बावजूद इसके बुजुर्ग महिला को क्यों बुलाया गया, इस बारे में आयोग से जवाब मांगा जाएगा।

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