खड़गपुर आईआईटी के नए निदेशक प्रोफेसर सुमन चक्रवर्ती 
आसनसोल

खड़गपुर आईआईटी के नए निदेशक ने पारदर्शिता पर दिया जोर

साथ ही साथ किसी भी तरह की रैगिंग बर्दाश्त नही किए जाने की बात कही

खड़गपुर : पश्चिम मिदनापुर जिले के खड़गपुर स्थित खड़गपुर आईआईटी के नए निदेशक ने शिक्षकों, शैक्षणिक कर्मचारियों और छात्रों के साथ विचारों के आदान-प्रदान के लिए आयोजित बैठक में अपने विचार व्यक्त किए। जिसमें उन्होने परदर्शिता पर जोर दिया। साथ ही साथ किसी भी तरह की रैगिंग बर्दाश्त नही किए जाने की बात कही।
    करीब छह महीने बाद आईआईटी खड़गपुर को स्थायी निदेशक मिल गया है। भारत के इस सबसे पुराने आईआईटी के नए निदेशक हैं प्रोफेसर सुमन चक्रवर्ती। जो संस्थान में मैकेनिकल इंजीनियरिंग के वरिष्ठ प्रोफेसर और दुनिया के सर्वश्रेष्ठ वैज्ञानिकों में से एक हैं। निदेशक का पदभार ग्रहण करने के बाद उन्होने शिक्षकों, शैक्षणिक कर्मचारियों और छात्रों के साथ विचारों के आदान-प्रदान के लिए एक बैठक की जिसमें उन्होने कहा कि अगर खड़गपुर आईआईटी को बड़े पैमाने पर दुनिया तक पहुंचना है, तो संस्थान को इसे एक परिवार के रूप में सोचना होगा। इसे तेजी से काम करना होगा। इसे अपने फैसले खुद लेने होंगे। उन्होने कहा कि हर चीज के लिए निदेशक की ओर देखने की जरूरत नहीं है लेकिन पारदर्शिता के साथ काम करना होगा। रैगिंग किसी भी तरह बर्दाश्त नहीं की जाएगी। उन्होंने कहा कि निदेशक का मतलब सिर्फ दीक्षांत समारोह में भाषण देना और विभिन्न कार्यक्रमों में फीता काटना ही नहीं होता। एक शिक्षण संस्थान का निदेशक सिर्फ प्रशासक नहीं होता, उसे पहले दिल से शिक्षक होना चाहिए। उन्होने कहा कि आईआईटी परिसर की संस्कृति को भी बदलना होगा। इसे बदलने का तरीका बताते हुए निदेशक ने कहा कि कई मामलों में देखा गया है कि ई-मेल का छह महीने तक जवाब नहीं मिलता। व्हाट्सएप का जवाब देने में भी देरी होती है। हालांकि, अगर आप प्रभावशाली हैं, तो आपको तुरंत जवाब मिल जाता है। ऐसा नहीं किया जा सकता। निदेशक ने कहा, मैं जवाब दिए बिना बैठूंगा, ऐसा नहीं हो सकता। हो सकता है कि मेरे पास हर चीज का समाधान न हो, लेकिन जवाब क्यों न दूं? कई समस्याएं चर्चा से हल होती हैं। उन्होने उदाहरण देते हुए कहा कि विभिन्न दस्तावेजों को देखने के दौरान उन्होंने देखा कि करीब 100 आरटीआई (सूचना का अधिकार) मामले हैं। आरटीआई पारदर्शिता की कमी के कारण है। इस मामले में शायद सभी संतुष्ट नहीं हुए होंगे, लेकिन अगर चर्चा हुई होती तो इतने सारे आरटीआई मामले नहीं होते। उन्होंने कहा कि बैठकें करके समय बर्बाद करने की जरूरत नहीं है। बैठक 10 मिनट के भीतर समाप्त हो जानी चाहिए। अगर कोई छात्र या शोधार्थी विदेश जाता है, तो उसके वीजा के लिए अनुमति की आवश्यकता होती है तो वह भी निदेशक के पास आएगा। वह चर्चा लिखकर जाएगा। इस समय को बर्बाद करने का कोई मतलब नहीं है। विभागाध्यक्ष या डीन बिना किसी झिझक के वह काम कर सकते हैं। यहां तक कि यह सारा काम ऑनलाइन भी किया जा सकता है। इसके साथ ही निदेशक ने यह भी कहा कि किसी भी तरह की रैगिंग बर्दाश्त नहीं की जाएगी। यह सिर्फ छात्रों के मामले में ही नहीं है। कई बार यह नए फैकल्टी या स्टाफ के मामले में भी हो सकती है। जिस तरह नए छात्रों के लिए अच्छा माहौल उपलब्ध कराया जाना चाहिए, उसी तरह फैकल्टी और स्टाफ को भी दिया जाना चाहिए। कोई भी असंसदीय कार्य करने वाला भी रैगिंग है। निदेशक ने कहा कि रैगिंग और अनुशासनहीनता नहीं की जा सकती। हालांकि उसके लिए सजा को समाधान नही मानते। उनके शब्दों में, दंड कोई समाधान नहीं है, असली बात है मातृ स्नेह से छात्रों के मन को समझना। मन में कभी भी नकारात्मक विचार नहीं आने चाहिए। सकारात्मक विचार जागृत होने चाहिए। फिर काउंसलिंग सेंटर की जरूरत ही नहीं पड़ेगी। खड़गपुर आईआईटी के नए निदेशक सुमन चक्रवर्ती ने कहा, छात्र शिक्षा के ग्राहक नहीं हैं, समस्याओं को पहचानकर उन्हें समझकर उनका समाधान किया जाना चाहिए।

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