अंडाल : ईसीएल के काजोड़ा क्षेत्र अंतर्गत खास काजोड़ा कोलियरी इलाके में भू-धंसान की घटनाएं थमने का नाम नहीं ले रही हैं। रविवार तड़के एक बार फिर इलाके में हुए व्यापक भू-धंसान से स्थानीय लोगों में दहशत फैल गई है। स्थिति इतनी गंभीर है कि लोग डर के साये में रात गुजारने को विवश हैं। आनंद शर्मा व अन्य प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार खास काजोड़ा 10/11 कोलियरी से सटे पीडी काजोड़ा कॉलोनी से महज 50 मीटर की दूरी पर स्थित एक बगीचे की जमीन रविवार सुबह अचानक धंस गई। इस घटना के कारण पास स्थित कई ईसीएल क्वार्टरों की दीवारें दरक गईं। घटना की सूचना मिलते ही कोलियरी प्रबंधक प्रभाकर कुमार पासवान व अन्य अधिकारियों ने मौके पर पहुंचकर स्थिति का जायजा लिया और प्रभावित स्थल की घेराबंदी करवाई। प्रबंधक ने तर्क दिया कि कोयला उद्योग के राष्ट्रीयकरण से पहले की गई माइनिंग (पुरानी सीम) के कारण ये घटनाएं हो रही हैं। प्रभावित कर्मियों को दूसरे क्वार्टरों में जल्द से जल्द शिफ्ट किया जायेगा।
10 दिनों के भीतर दूसरी बड़ी घटना
गौरतलब है कि बीते 18 दिसंबर को भी इसी इलाके में भयावह भू-धंसान हुआ था। उस समय प्रबंधन ने गड्ढे को मिट्टी से भर दिया था, लेकिन महज 10 दिनों के भीतर पुराने स्थल से 100 मीटर की दूरी पर फिर से जमीन धंस गई। इस बार किसानों के खेत भी इसकी चपेट में आए हैं। ज्ञात हो कि इसी वर्ष मार्च महीने में यहां हुए भू-धंसान में एक पूरी स्कूल बिल्डिंग जमींदोज हो गई थी, जिससे स्थानीय लोगों में असुरक्षा की भावना गहरी हो गई है।
लापरवाही का लगा आरोप
तृणमूल नेता सह पंचायत संचालक प्रदीप कुमार पोद्दार ने ईसीएल पर लापरवाही का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि कोयला उत्पादन के बाद सही तरीके से बालू भराई (Sand Stowing) न होने का खामियाजा लोग भुगत रहे हैं। जिला परिषद उपाध्यक्ष सह HMS नेता विष्णुदेव नोनियां ने मांग की कि प्रबंधन केवल कर्मियों ही नहीं, बल्कि यहां दशकों से रह रहे उन गरीब किसानों और ग्रामीणों के पुनर्वास की भी व्यवस्था करे जिनकी आजीविका खतरे में है। उन्होंने क्षेत्र की वैज्ञानिक जांच कराने की भी मांग उठाते हुए कहा कि समस्या के स्थाई समाधान के लिए प्रबंधन कदम उठाये अन्यथा जोरदार आंदोलन होगा।