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ईसीएल के 9 एरिया घाटे में, मुनाफे में चल रहे बस 4 एरिया

सांकतोड़िया : ईसीएल वर्तमान में 13 एरिया में कोयला खनन का कार्य कर रही है जिसमें से 9 एरिया घाटे में चल रहे हैं जबकि 4 एरिया मुनाफे में चल रहे हैं। इस कारण वर्ष 2024-25 में कंपनी टैक्स देने के बाद 204.49 करोड़ रुपया मुनाफा अर्जित किया है। ईसीएल का सबसे अधिक घाटा देने वाला सतग्राम श्रीपुर एरिया है। यह वर्ष 2024-25 में 999.07 करोड़ रुपये के घाटे में है जबकि 2023-24 में 1118.45 करोड़ का घाटे में था। 2024-25 में 119.38 करोड़ रुपया घाटा कम करने में सफल हुआ है। दूसरे स्थान पर काजोड़ा एरिया है। इसका घाटा 897.35 करोड़ है। वर्ष 2023-24 में 838.79 करोड़ रुपया घाटा था। पिछले वर्ष यह घाटा 58.56 करोड़ रुपया बढ़ा है। भूमिगत खदानों से लगातार हो रहे घाटे को देखते हुए प्रबंधन ने भूमिगत खदानों को आउटसोर्सिंग कंपनी के हवाले करना शुरू कर दिया है ताकि कंपनी में हो रहे घाटे को पाटा जा सके। इस प्रकार देखा जाये तो गुड़ का नफा चुट्टी खाए जा रही है। कंपनी जितना मुनाफा अर्जित कर रही है, उसका सारा लाभ भूमिगत खदानों के घाटे को पाटने में चला जा रहा है। सूत्रों ने बताया कि पूरी कंपनी में ईसीएल की 23 खदानें घाटे में हैं। उन खदानों की सूची कोयला मंत्रालय को भेजी गई है। रिपोर्ट के अनुसार, भूमिगत खदानें सबसे अधिक घाटे में है जहां कोयला उत्पादन करने में कंपनी को अधिक लागत लग रही है।

स्थिति बेहतर करने के लिए टीम का गठन

घाटे वाली खदानों की स्थिति बेहतर करने के लिए कोल इंडिया ने टीम का गठन किया है। इसमें आईआईटी आईएसएम, सीएमपीडीआइएल, कोल इंडिया व संबंधित कंपनी के अधिकारियों को रखा गया। टीम यह संभावना तलाश रही है अगर इन खदानों से भविष्य में भी उत्पादन किया जाये तो कितना लाभ होगा। यहां कोयला भंडार की स्थिति क्या है। कम से कम श्रम शक्ति का उपयोग करते हुए खदानों को मशीनीकरण पर कैसे जोर दिया जाये। टीम जल्द ही इस पर अपना अध्ययन शुरू करेगी।

भूमिगत खदानों पर बंदी का अधिक खतरा

कोल इंडिया अधिक घाटे में चलने वाली भूमिगत खदानों को बंद करने पर भी विचार कर रही है। प्रबंधन उन भूमिगत खदानों को चलाने की योजना बना रहा है जहां मशीनीकरण से खदानों को लाभ मिल सके। ईसीएल प्रबंधन ने वैसी खदानों को पहले बंद करने का निर्णय लिया है, जिसका उत्पादन पचास हजार टन से भी कम है। घाटे व मुनाफे वाली खदानों को सूची तैयार कर ली गई है। उसे कैसे बेहतर किया जाये, इस पर अध्ययन किया जा रहा है। भूमिगत खदानों का मशीनीकरण करने को लेकर ध्यान दिया जा रहा है। सभी कंपनियों को इस संबंध में दिशा-निर्देश दिया गया है। मौजूदा समय में कई स्तर पर अध्ययन किया जा रहा है ताकि कंपनी मुनाफे में आ जाये।

किस एरिया ने कितना मुनाफा किया

सोनपुर बाजारी ने 3406.06 करोड़, राजमहल एरिया 1167.30 करोड़, सालानपुर एरिया 403.52 करोड़ तथा एसपी माइंस ने 3.26 करोड़ रुपया मुनाफा किया है।

किस एरिया ने कितना घाटा किया

झांझरा एरिया 210.34 करोड़, सतग्राम श्रीपुर एरिया 999.07 करोड़, सोदपुर एरिया 861.88 करोड़, काजोड़ा एरिया 897.35 करोड़, मुगमा एरिया 552.27 करोड़, केन्दा एरिया 516.49 करोड़, पांडवेश्वर एरिया 367.66 करोड़, बांकोला एरिया 556.64 करोड़ तथा कनुस्तोड़िया एरिया में 511.24 करोड़ रुपये का घाटा हुआ है।

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