प्रदर्शन करते कारखाना के श्रमिक  
आसनसोल

ब्लैक डायमंड बारूद कारखाने के समक्ष स्थायीकरण सहित कई मांगों को लेकर प्रदर्शन

बाराबनी : बाराबनी थाने के पुचरा ग्राम पंचायत के नापाड़ा स्थित ब्लैक डायमंड बारूद कारखाने के मुख्य गेट के समक्ष कुछ अस्थायी मजदूरों ने आईएनटीटीयूसी के बैनर तले स्थायी करने सहित कई मांगों को लेकर प्रदर्शन किया। इसके बाद कारखाने के अधिकारी को ज्ञापन सौंपा। मजदूरों का कहना है कि वे लोग 2001 से इस कारखाने में अस्थायी तौर पर काम कर रहे हैं लेकिन अब तक किसी को स्थायी नहीं किया गया। मजदूरों को पीएफ तथा ईएसआई की सुविधा से वंचित रखा गया है। इतना ही नहीं, कारखाना प्रबंधन द्वारा दो अस्थायी मजदूरों को काम से हटा दिया गया। मजदूरों का कहना है कि कारखाना प्रबंधन अपनी मनमानी कर रहा है। वहीं जब तक हटाये गये मजदूरों को वापस काम पर नहीं रखा जाएगा तथा मजदूरों को सुविधाएं नहीं दी जाएंगी, तब तक वे लोग विरोध व आंदोलन जारी रखेंगे। इसके बाद पथसभा की गई जिसमें मुख्य रूप से बाराबनी पंचायत समिति के अध्यक्ष असित सिंह, केशव राउत, जितेंद्र कुमार, आईएनटीटीयूसी नेता उत्तम पाल आदि उपस्थित थे। असित सिंह ने कहा कि तृणमूल कभी नहीं चाहेगी कि कारखाना बंद हो जाये। कारखाना संचालक अपने मजदूरों के लिए सुरक्षा, इलाज व अन्य सुविधाएं मुहैया करवाने में लापरवाही करते हैं। काफी समय से कार्यरत अस्थायी मजदूरों को स्थायी करना जरूरी है लेकिन मालिक ऐसा करने से साफ इंकार कर रहे हैं जो ठीक नहीं है। दो मजदूरों पर एफआईआर किया गया है जिन्हें अविलंब वापस लेने का दबाव बनाया जा रहा है।

मजदूरों की दंबगई से कारखाना चलाना संभव नहीं

ब्लैक डायमंड एक्सप्लोसिव प्राइवेट लिमिटेड के जनसंपर्क अधिकारी सुभाष चंद्र राय ने कहा कि कुछ मजदूरों की दबंगई के कारण कारखाना चलाना संभव नहीं है। बीते 19 मई को दो मजदूरों ने कारखाने में घुसकर एक अधिकारी को घसीटते हुए बाहर निकाल कर उनकी पिटाई की थी। उनके खिलाफ बाराबनी थाने में एफआईआर किया गया है। दोनों को काम से निकाल दिया गया है। ऐसे दबंग मजदूरों पर जब तक कड़ी कार्रवाई नहीं की जाएगी, तब तक कारखाना चलाना संभव नहीं है। उन्होंने कहा कि 2008-2009 के बाद किसी को स्थायी व पदोन्नति नहीं दी गई है कारण कारखाना सक्षम नहीं है। उन्होंने कहा कि शनिवार को उनलोगों ने अपनी मांगों को लेकर एक सामान्य कागज पर लिख कर ज्ञापन सौंपा है जो मान्य नहीं है। एक डेढ़ साल से काम करने वालों को स्थायी करना संभव नहीं है।

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