बर्दवान : सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने से पहले बर्दवान के शक्तिगढ़ पुलिस थाने के सोनाकुर गांव की एक मां का दिल का दौरा पड़ने से मौत हो गई। उसे डर था कि 26,000 नौकरियां जाने में उसके बेटे और बहू की नौकरी कहीं चली न जाये। मृतका का नाम मंजुला यश (68) है। मृतका की बहू की बड़ी बहन इंद्राणी दत्ता और रिश्तेदार मौसमी दत्ता ने बताया कि मंजुला यश को हृदय संबंधी कोई समस्या नहीं थी। शिक्षक और गैर-शिक्षण कर्मचारियों की नियुक्तियां संबंधी मामला सुप्रीम कोर्ट में जाने के बाद वे चिंता से ग्रस्त रहने लगी थीं। एक अप्रैल को उनकी हालत बिगड़ने पर उन्हें बर्दवान के एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया था। शुक्रवार सुबह दिल का दौरा पड़ने से उनकी मौत हो गई। इंद्राणी दत्ता ने बताया कि मृतका के बेटे अर्नब यश और उसकी पत्नी चंद्राणी दत्ता दोनों ने इस घटना में अपनी नौकरी खो दी है। अर्नब यश बीरभूम के चतरा गणेश लाल हाई स्कूल में भूगोल का शिक्षक था और पत्नी चंद्राणी दत्ता बीरभूम के नयापाड़ा हाई स्कूल में भूगोल की शिक्षिका थी। सुप्रीम कोर्ट ने पति-पत्नी दोनों की नौकरी समाप्त कर दी है। इंद्राणी दत्ता ने कहा कि उनका पूरा परिवार इस फैसले को लेकर चिंतित है। इसी डर के कारण मंजुला यश को दिल का दौरा पड़ा। मौसमी दत्ता ने इस घटना के लिए सीधे तौर पर वामपंथी वकील विकास रंजन भट्टाचार्य और राज्य सरकार को जिम्मेदार ठहराया है।